Wednesday, 12 July 2023

रीवा में प्रिंट रेट पर चिट चिपका कर अधिक मूल्य पर बेची जा रहीं थीं स्कूलों की किताबें, दुकान सील, जानिए कैसे हुआ खुलासा

 

रीवा. अधिक कमाई करने के चक्कर में प्रिंट रेट पर चिट चिपकाकर दुकानदार द्वारा किताबें महंगे दामों पर बेची जा रहीं थीं। इसका खुलासा मंगलवार को उस समय हुआ जब प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस की टीम ने दुकान में दबिश दी। अधिकारियों ने फिलहाल दुकान को सील कर दिया है और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक सिरमौर चौराहा स्थित अग्रसेन बुक डिपो में कई निजी विद्यालयों की पुस्तकें बेची जाती हैं। यहां पर प्रिंट से अधिक कीमत पर किताबें अंकित मूल्य पर चिट चिपकाकर बेची जा रहीं थीं। इसकी सूचना मिलने पर कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कार्रवाई के निर्देश जारी किए। एसडीएम अनुराग तिवारी सहित तमाम अधिकारियों व पुलिस बल ने रमागोविंद पैलेस में स्थित दुकान में दबिश दी तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

टीम ने दुकानों में रखी किताबों की जांच की तो अंकित मूल्य के ऊपर स्टीकर चिपकाकर नया मूल्य अंकित किया गया था। कई किताबों को अधिकारियों ने खरोंचकर देखा तो उनमें स्टीकर लगा हुआ था। अधिकारियों ने दुकान को सील कर दिया और पूरे मामले की जांच के आदेश जारी किए हैं। उक्त दुकानदार द्वारा शहर की कई नामी स्कूलों की किताबें बेची जाती हैं। अकेले रीवा में ही हजारों अभिभावक उसकी दुकान से किताब खरीदते हैं जिसके लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा आदेशित किया जाता है। इसकी आड़ में दुकानदार द्वारा अभिभावकों की जेब में डाका डाला जा रहा है। कितने सालों से यह गोरखधंधा चल रहा है यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।


ऐसे हुआ गोरख धंधे का खुलासा 

दुकानदार की इस करतूत का खुलासा उस समय हुआ जब वेदांता पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने यहां से किताबें खरीदीं। उनको किताबों की कीमतों पर संदेह हुआ तो उन्होंने अंकित मूल्य को खरोंचकर देखा तो 205 रुपए में बेची गई किताब का वास्तविक मूल्य 145 रुपए था। हिन्दी विषय की किताब में भी यही मूल्य दर्ज किया गया था और ग्राहकों को किताब 205 रुपए में बेची गई थी। ये अभिभावक आरक्षक थे। इसकी शिकायत आरक्षकों ने पुलिस अधीक्षक से की थी। मामला संज्ञान में आते ही एसपी ने जिला कलेक्टर को इसकी जानकारी दी और दुकान में यह कार्रवाई की गई है। दुकानदार ने अंकित मूल्य के ऊपर स्टीकर लगाकर अपना नया रेट किताबों में चस्पा किया था। यह सामान्य रूप से देखने में पकड़ में नहीं आता था। यही कारण है कि दुकान से किताबें खरीदने वाले लाखों अभिभावक दुकानदार की इस करतूत को नहीं पकड़ पाए।


निजी विद्यालयों की भूमिका भी संदिग्ध 

यह पूरा मामला सामने आने के बाद अब निजी विद्यालयों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। शहर के सभी नामी स्कूल के संचालकों की सेटिंग अग्रसेन बुक डिपो के संचालक से थी। सभी स्कूलें अभिभावकों को वहां से किताबें खरीदने को मजबूर करती थीं। अन्यत्र से किताबें खरीदने पर उसे स्वीकार नहीं किया जाता है। ऐसे में अब स्कूल संचालकों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए जो अग्रसेन बुक डिपो के संचालक के साथ मिलकर अभिभावकों को लुटवा रहे थे।


फिलहाल दुकान को किया सील 

इस संबंध में एक शिकायत मिली थी, जिसमें प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर किताबें बेची जा रही थीं। दुकान में दबिश दी गई तो शिकायत सही मिली। किताबों में अलग से दाम अंकित कर उसे बेचा जा रहा था। शिकायतें सही मिलने पर फिलहाल दुकान को सील कर दिया गया है। जांच में जो तथ्य सामने आएंगे उस आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी। - अनुराग तिवारी, एसडीएम


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