Friday, 1 September 2023

खुरपी और फावड़े से जमीन के अंदर बना दिया 11 कमरों का दो मंजिला आशियाना, रंग लाई इरफान की 12 साल की मेहनत

हरदोई। इंसान अपनी जिद पर आ जाए तो फिर कोई काम मुश्किल नहीं रहता है। ऐसा ही कुछ कारनामा हरदोई के एक शख्स ने किया है। जिससे माउंटेन मैन दशरथ मांझी की यादें ताजा हो गई हैं। दशरथ मांझी ने अपनी जिद और हौसले के चलते पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था। वहीं हरदोई के एक फकीर  ने मिट्टी के ऊंचे टीले को ऊपर से लेकर जमीन के भीतर तक अपने हाथों से मिट्टी काटकर अपना दो मंजिला महलनुमा माकन तैयार कर दिया है। 


उत्तर प्रदेश के हरदोई में फकीर इरफान उर्फ पप्पू बाबा ने हैरान कर देने वाला यह कारनामा किया है। महज फावड़ा और खुरपी से खुदाई कर 12 साल की मेहनत से जमीन के अंदर अंडरग्राउंड दो मंजिला मकान बनाकर तैयार कर दिया। इस मकान में 11 कमरों के साथ मस्जिद भी है। इस घर को सजाने के लिए मक्का मदीना और तिरंगे की आकृतियां भी बनाई गईं हैं।  आज यह मकान लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिसे देखने के लिए आसपास के लोग पहुंचते हैं। 

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दीवारों पर नक्काशी 
फकीर इरफान ने जमीन के अंदर बने इस आशियाने में 11 कमरों के साथ इबादत के लिए मस्जिद और मक्का मदीना का स्वरूप भी बनाया है। केवल खुरपी फावड़ा का उपयोग कर दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी की है। इरफान को यह आशियाना बनाने में 12 साल का समय। यह महल पिलर पर टिका हुआ है। जमीन के अंदर आय कारनामा करने वाले फकीर की मेहनत और कारीगरी से लोग आश्चर्यचकित हैं। हरदोई के शाहाबाद कस्बे के मोहल्ला खेड़ा बीबीजई में रहने वाले इस फ़क़ीर की मेहनत और कारीगरी की खूब चर्चा हो रही है। 

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साल 2011 में की थी शुरूआत
इरफान ने साल 2011 में इसे बनाने की शुरुआत की थी। इस टीले पर उनकी पैतृक जमीन थी, जिसके कुछ भाग में वो खेती करते है। जबकि कुछ हिस्से में उन्होंने यह अनोखा मकान बनाया है। इरफान ने पहले टीले के अंदर खुदाई कर पिलर बनाया और फिर धीरे-धीरे मिट्टी काटकर कमरों के साथ-साथ  इबादतगाह भी तैयार कर दिया। कमरों और इबादतगाह में सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता है। 

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पहले करते थे सिलाई का काम 
इरफान पहले वह दिल्ली में रहकर सिलाई का काम करते थे। फिर वह अपने घर शाहाबाद आ गए। यहां उन्होंने सभासद का चुनाव लड़ा। लेकिन जीत नहीं पाए, जिससे निराश कर उन्होंने फकीरी अख्तियार कर ली और अल्लाह की इबादत में लग गए। उन्होंने अपना आशियाना तैयार किया और इसी में रहकर वो  इबादत करते हैं। वह अविवाहित हैं। दिन-रात को इसी मकान में रहते हैं। और रोजाना 4 से 5 घंटे अपने इस आशियाने को सजाने संवारने में लगाते हैं। 

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