रहिये अपडेट, रीवा। जिले में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए घने जंगल तैयार किए जाने की तैयारी है। इसमें अब मियावकी रोपण पद्धति पर काम किया जाएगा। इसको लेकर ईको पार्क में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। वनमण्डलाधिकारी अनुपम शर्मा एवं मियावकी प्रशिक्षक विशाल श्रीवास्तव ने इस पद्धति से जुड़ी अहम जानकारियां दीं। जिसमें बताया गया कि मियावाकी जापानी तकनीक है। यह एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा छोटी जगह में कम समय में घने जंगल उगाए जा सकते हैं। यह तकनीक जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई थी।
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पौधों को बहुत करीब-करीब लगाया जाता है
इस तकनीक की कुछ प्रमुख विशेषताओं में पौधों को बहुत करीब-करीब लगाया जाता है, जिससे वे तेजी से ऊंचाई प्राप्त करते हैं और घना जंगल बनाते हैं। तकनीक में केवल उसी क्षेत्र के देसी पौधों का उपयोग किया जाता है, जिससे वे आसानी से अनुकूलित हो जाते हैं। मियावाकी जंगल पारंपरिक जंगलों की तुलना में बहुत तेजी से विकसित होते हैं। एक बार स्थापित हो जाने के बाद, मियावाकी जंगलों को बहुत कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। यह तकनीक जैव विविधता को बढ़ावा देती है।
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मिट्टी के कटाव को रोकती है
मिट्टी के कटाव को रोकती है और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करती है। मियावाकी जंगल कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करते हैं। यह तकनीक शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने के लिए एक प्रभावी तरीका है जिससे आसपास के क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में छांव एवं संतुलित साफ -स्वच्छ हवा और प्रदूषण को कम करने से उपरोक्त तकनीक बहुत कारगर साबित होती है। बताया गया है कि रीवा शहर में भी इस तकनीकी का उपयोग किया जाएगा।
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