Monday, 26 September 2022

450 साल पहले स्वयं स्थापित हुईं थी मां कालिका, रानी तालाब मंदिर की जानिए पूरी गाथा

हर साल लाखों लोग टेकते हैं माथा, मांगते हैं मनौती


रीवा. शहर के रानी तालाब में माता कालिका का भव्य दरबार है। यह लोगों के आस्था, विश्वास, भक्ति और शक्ति का अद्भुत केन्द्र है। नवरात्र पर माता कलिका माता मंदिर के दरबार में नौ दिनों तक सिद्धि के लिए पूजा-आराधना की जाती है। रानी तालाब के मेढ़ पर स्थित मां कालिका के बारे में कहा जाता है कि यह सिद्धिपीठ है, जहां अपनी मनौती लेकर प्रतिवर्ष लाखों लोग पहुंचते हैं और कोई खाली हाथ नहीं लौटता।

भारी कोशिशों के बाद भी नहीं उठा पाए मूर्ति 

मंदिर के पुजारी पं. देवी प्रसाद बताते हैं कि लगभग 450 वर्ष पूर्व यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास यह देवी की मूर्ति थी। रात्रि विश्राम के समय व्यापारियों ने मां की प्रतिमा को एक इमली के पेड़ से टीका दिया था। दूसरे दिन जब वे मूर्ति को उठाने लगे तो भारी कोशिशों के बाद मूर्ति नहीं उठा पाए। जिससे व्यापारी मूर्ति को यहीं पर छोड़ गए थे, तबसे मूर्ति यहीं पर विराजमान है। वर्तमान में सरकार ने देवी मां का भव्य मंदिर बनवा दिया है और नवरात्र के अलावा भी प्रतिदिन हजारों भक्त काली मां के दर्शन को पहुंचते हैं।

रीवा व्याघ्रदेव सिंह ने कराई स्थापना 

मंदिर के पुजारी की माने तो व्यापारियों के जाने के बाद वर्षों तक मां कालिका की प्रतिमा यहा रखी रही। लेकिन रीवा रियासत के राजा व्याघ्रदेव सिंह को जानकारी होने पर उन्होंने एक चबूतरा बनवाकर इस भव्य मूर्ति की स्थापना कराई और पहलीबार नियमित रूप से यहां पूजा-पाठ की शुरूआत हुई। तबसे भक्तों द्वारा यहां पर लगातार पूजा-अर्चना की जा रही है। साथ ही नवरात्र में भव्य मेला भी लगता है। वर्तमान में यह स्थान आस्था एवं भक्ति का बड़ा केन्द्र बन चुका है। 

सिद्धि पीठ है मां का मंदिर 

मंदिर के गर्भगृह में मां कालिका की मूर्ति के साथ भगवान सूर्य, शीतला मां, अन्नपूर्णा माता, भैरवी, भगवान गणेश व हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। वहीं मंदिर परिसर में दांए में खोरवा माई और बांए में घेंघा माई विराजी हैं। रानी तालाब के बीचोंबीच शिव मंदिर है। उत्तर में हनुमान जी, उत्तर पूर्व के कोने में शिवलिंग, दक्षिण में गजानन व पूर्व में काल भैरव विराजे हैं। इसलिए इस स्थान को सिद्धिपीठ का दर्जा मिला है।  

राखी बंधाई में मिला तालाब

बताते हैं कि सूखा के चलते पानी का घोर संकट हो गया था। जिससे यहां पर रह रहे लवाना जाति के लोगों ने पानी के लिए तालाब की खुदाई किया था। लेकिन तालाब निर्माण की भव्यता को देखकर रीवा की महारानी कुंदन कुंवरि ने तालाब के बदले में लवाना लोगों को राखी बांधी थी तो उन्होंने तालाब रानी को सौंप दिया। जिससे इस तालाब का नाम रानी तालाब रखा गया था।

नवरात्र को लेकर की गई तैयारी

रानी तालाब स्थिति मां कालिका के मंदिर में नवरात्र को लेकर तैयारी लगभग पूरी हो गई है। मंदिर एवं परिसर का रंग रोगन के साथ ही आकर्षक लाइटिंग कराई जा रही है। वहीं नवरात्र के लेकर लगने वाले मेले की तैयारी भी प्रशासन ने शुरू कर दी है। तहसीलदार ने बैठक लेकर दुकानदारों की बैठक, सुरक्षा के लिए परिसर में सीसीटीवी लगाने और श्रद्धालु की सुविधा के लिए स्वयंसेवकों तथा पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा रही है। 
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