चोर सहित माल बरामद
रीवा। सरकारी तंत्र में ऐसा कोई विभाग नहीं है जहां भ्रष्टाचार की देवी पैर तोड़ कर न बैठी हो। कलेक्ट्रेट कार्यालय भी इससे अछूता नहीं है। अधिकारी तो अधिकारी अदना से बाबू भी बिना चढ़ोतरी के कलम नहीं चलता। मजे की बात तो यह है कि जब इनके घर चोर हाथ साफ करते है तो चोरी गये समानों का बखान नहीं कर पाते। उनको इस बात का भय सताता है कि उन पर कहीं लोकायुक्त या फिर ईओडब्लू की नजर न लग जाये। हाल ही में कलेक्टे्रट कार्यालय में पदस्थ लिपिक के घर में चोरी की वारदात हो गई। जिसकी शिकायत तो पुलिस से की और पुलिस ने माल भी बरामद कर लिया। लेकिन चोर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने में कलेक्ट्रेट के बाबू को पसीने छूट गये। समान थाना के पुलिस सूत्र ने बताया कि निवासी अनुश्री मिश्रा के घर में 26 जनवरी को चोरी की वारदात हुई थी। चोर आलमारी से सारे जेवर और नगदी पार कर दिया था। घटना के समय घर पर नौकरों के अलावा कोई भी नहीं था। कलेक्ट्रेट का बाबू अनुश्री मिश्रा जब परिवार संग अपने घर लौटा तो देखा कि आलमारी में झाडू फेर दिया गया। घटना की शिकायत थाना समान में की। पुलिस ने सीसीटीवी के माध्यम से चोर पकड़ लिया। पूछतांछ में बताया कि वह गहने सर्राफा व्यापारी को बेच दिया। पुलिस ने सारे गहने भी बरामद कर लिये। इस संबंध में थाना प्रभारी ने बताया कि फरियादी ने चोरी की एफआईआर दर्ज नहीं करवाई।थाना प्रभारी के बयान पर उठने लगे सवाल
थाना प्रभारी ने बताया कि पीडि़त ने एफआईआर दर्ज नहीं करवाई। साथ ही बताया कि पीडि़त के यहां दो नौकर थे जिनमें से एक ने चोरी की थी और माल भी बरामद हो गया। थाना प्रभारी का इस बयान से अब सवाल यह उठता है पुलिस ने जब चोरी का समान खरीदने वाले सर्राफा व्यापारी को पकड़ कर चोरी का माल बरामद किया तो फिर उस पर चोरी का माल खरीदने का अपराध दर्ज न कर रहम क्यों दिखाया...? दूसरा सवाल यह कि कलेक्ट्रेट के लिपिक के पास इतनी कमाई कहां से आती है कि अपने घर में एक नहीं दो नौकर रखे हुये है? और सबसे बड़ी बात की चोरी की वारदात पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करवाई...?
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