बस में सवार होकर जा रहा था मैहर, रैकी में लगा था आरक्षक
यदि हम सूत्रों की बातों पर यकीन करे तो पुलिस के हाथ लगा इनामी तस्कर कटनी से मैहर की ओर जा रहा था। इस बात की सूचना मुखबिर द्वारा डीआईजी/एसपी को दी गई। सूचना पर डीआईजी/ एसपी ने स्पेशल टीम का गठन किया। जिसमें साइबर सेल के उप निरीक्षक मृगेंद्र सिंह बघेल, गौरव मिश्रा के साथ ही अमहिया थाना प्रभारी दीपक तिवारी, गोविंदगढ़ थाना प्रभारी शिवा अग्रवाल सहित प्रधान आरक्षक कृष्णकांत नामदेव, आरक्षक मयंक, विक्रम वर्मा, मकरध्वज तिवारी एवं प्रिंस सिंह शामिल रहे। सूत्रों ने बताया कि गांजा तस्कर कटनी से मैहर की ओर आ रही बस में सवार था। जिसे रैकी करने के लिए दो आरक्षक बस में सवार थे और पीछे से पुलिस की स्पेशल टीम लगी हुई थी। तस्कर को इस बात का शक हो गया कि पुलिस टीम उसका पीछा कर रही है। शक के आधार पर तस्कर बदेरा समीप बस से उतर गया। उसे क्या मालूम था कि खुली हवा में घूमने का उसका आज आखिरी दिन है। बस से तस्कर के साथ ही सवार आरक्षक उतरे और पीछे से फोर व्हीलर में आ रही पुलिस टीम ने दबोच लिया।
फरारी के दौरान अवैध दौलत के साथ उखड़ गया बाजू
कहते हैं कि हराम की दौलत हराम में ही जाती है। लालमन जायसवाल के साथ ही ऐसा ही कुछ हुआ। लालमन तो एक बदनामशुदा नाम था जिसके पीछे उसके छोटे भाई रामलाल जायसवाल बाजू बना था। दोनो भाईयों ने मिल कर शराब से लेकर गांजा तस्करी में अकूत संपत्ति बनाई। इस बीच दोनो भाईयों के विरुद्ध तस्करी के कई अपराध विभिन्न थानों में दर्ज हुये। रामलाल अय्याश किस्म का था जो अपनी मौसी के ही बहू को पत्नी बना कर अपने साथ रख लिया। इतना ही नहीं गांजा और शराब की कमाई से बनाई गई संपत्ति भी अपनी पत्नी के नाम कर दी थी। यहां तक की नागपुर में बना हुआ मकान भी। इसी बीच उसकी पत्नी का एक युवक से अवैध संबंध हो गया और उसके साथ मिलकर नागपुर में अपने पति रामलाल की हत्या करवा दी। और नागपुर से लेकर रीवा तक की सारी संपत्ति की वह मालकिन बन बैठी। भाई की हत्या हो जाने के बाद लालमन का बाजू कट गया और वह हतास हो कर तस्करी के कारोबार से तौबा कर पुलिस से बचने फरारी काटने लगा। कभी छग तो कभी एमपी, यूपी में अपना ठिकाना बनाता था। चोरी छुपे रीवा स्थित अपने घर और गांव हरदी भी आता-जाता रहा। लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगती थी।
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