Congress News Rewa : असंतोष की चिंगारी बनी ज्वाला, कांग्रेस पार्टी में शुरू हुआ स्तीफा देने का सिलसिला

Wednesday, 25 January 2023

/ by BM Dwivedi

नवनियुक्त पदाधिकारियों को स्वीकार नहीं कर रहे कार्यकर्ता 

रीवा . प्रदेश अध्यक्ष एंव राष्ट्रीय महासचिव की अनुशंसा पर आल इंडिया कांग्रेस कमेटी द्वारा प्रदेश सहित रीवा जिले के जिला कांगे्रस कमेटी में नवनियुक्त चेहरों को देख कांग्रेसियों के बीच जो चिंगारी सुलगी वह रीवा में ज्वाला का रूप ले ली। राजपूत, ओबीसी एंव अल्प संख्यक समाज को उपेक्षित कर एक ही वर्ग समाज को रीवा से लेकर प्रदेश में स्थान दिये जाने पर ग्रामीण अचंल में कांग्रेस के पदाधिकारियों के बीच स्तीफा देने का दौर शुरू हो गया है। कोई भी नव नियुक्त जिला ग्रामीण अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा के नेतृत्व में काम करने को तैयार नहीं है। कुछ लोग तो खुल कर विरोध में आ गये और कुछ लोग संगठन के भय से दबी जुबां अपने दर्द बयां कर रहे है। अब सोच का विषय यह है कि आने वाले समय में नव नियुक्त जिला ग्रामीण अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ग्रामीण अंचल में कांग्रेस के सिपाहियों को एक सूत में पिरोने पर कामयाब होते है या फिर नाराज सिपाहियों की वजह से पार्टी को वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भारी क्षति का सामना करने पड़ेगा। लेकिन जो बात सामने निकल कर आ रही है उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है आने वाला समय कांग्रेस के लिए कष्टदायी होगा। 

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ग्रामीण अंचल में विरोध की फैल रही लपट

जिला शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के चुनाव पर कोई विरोध स्वर नहीं निकल रहे है। लेकिन रीवा लोकसभा अंर्तगत 25 ब्लाकों में कार्यकरत कांग्रेस के सिपाहियों के बीच जिला ग्रामीण अध्यक्ष बनाये जाने की लपट फैल जोरों से फैल रही है। जिसमें ब्राम्हण समाज के साथ ही राजपूत, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज के लोग शामिल है। जिधर भी देखो तो यही सुनाई देता है कि ग्रामीण अंचल में जातीय समीकरण को बिगाड़ कर जिले के संगठन प्रभारी ने एक ही नाम को मनोनीत किया आखिर इसकी वजह क्या है? 

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गांव की गलियों का नहीं ज्ञान, क्या करेंगे मार्गदर्शन

रीवा लोकसभा में कांग्रेस से तालुक रखने वाले ब्राम्हण समाज के अलावा राजपूत, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज के लोग भी हैं जो अधिकांशत: ग्रामीण अंचल से जुड़े है। बिना नाम लिये संगठन प्रभारी की ओर इशारा करते हुये बनकुईयां ब्लॉक के अध्यक्ष मिथलेश दुबे ने कहा कि रीवा लोकसभा में जातीय समीकरण के अनुसार जिला ग्रामीण अध्यक्ष का चुनाव नहींं किया गया। जो व्यक्ति शहर के बाहर नहीं निकले उनको क्या मालूम कि जिले में कितने गांव है और गांव की गलियां। ऐसे में वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की नैया कैसे पार होगी यह पार्टी के वरिष्ठ लोगोंको सोचना चाहिये। बनकुईयां के ब्लॉक अध्यक्ष मिथलेश दुबे ने बताया कि नव नियुक्त जिला ग्रामीण अध्यक्ष के अधीनस्थ मैं काम नहीं करता। इसलिए मैने प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पत्र भेज कर अपने पद से स्तीफा दे दिया हूं। साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया हूं कि मैं पार्टी में एक निष्ठवान सिपाही की तरह काम करता रहूंगा। 

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टाटपट्टी उठाने और कांग्रेस का झंडा उठाने तक सीमित है ग्रामीण कार्यकर्ता

जिला ग्रामीण अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा को बनाये जाने पर बनकुईयां ब्लाक के कचूर सेक्टर प्रभारी प्रसून उरमलिया  (विपुल) ने भी अपने पद से स्तीफा दे दिया। स्तीफे की प्रतिलिप प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के साथ ही जिला संगठन प्रभारी प्रताप भानू शर्मा एंव ब्लाक कांग्रेस कमेटी बनकुईयां को भेज दी। चर्चा के दौरान प्रसून उरमलिया ने बताया कि राजेंद्र शर्मा शहर की राजनीत करते है जो ग्रामीण अंचल के न तो कार्यकर्ताओं को ही जानते है और न ही पदाधिकारियों को। एआईसीसी ने जो फैसला लिया है उससे ऐसा लगता है कि एआईसीसी की नजर में ग्रामीण अंचल के कांग्रेसी सिपाही केवल टाटपट्टी और कांग्रेस का झंडा लेकर चलने तक ही सीमित है। ग्रामीण अंचल के 25 ब्लाक में से किसी भी ब्लाक का अध्यक्ष चुना जाता तो मंजूर था लेकिन शहर में राजनीति करने वाले नेता के हाथ ग्रामीण अंचल की बागडोर देना एक प्रकार ग्रामीण अंचल में रहने वाले कांग्रेस के सिपाहियों की उपेक्षा है। जिसकी वजह से मैंने अपने पद से स्तीफा दे दिया है। 

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सोशल मीडिया में राजू की चल रही खरी-खरी

मऊगंज विधानसभा से राजपूत समाज की आवाज उभर कर निकली है। जो फेसबुक, सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही। बताया जाता है कि राजू सिंह सेंगर सद्भावना प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष के पद हैं। जो बीते 25 वर्षो से कांग्रेस पार्टी से जुड़े है। उन्होंने अपनी खरी-खरी में लिखा है कि जिला कांग्रेस कमेटी रीवा ग्रामीण का अध्यक्ष शहर से बनाया जाना कांग्रेस के लिए दुर्भाग्य पूर्ण होगा। रीवा ग्रामीण में सात विधानसभा से कोई लायक नेता पार्टी में नहीं रहा। कांग्रेस के सदस्यता अभियान में ग्रामीण क्षेत्र के जिन नेताओं ने जोर-शोर से बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था पार्टी में उसका कोई मायने नहीं रहा। मुझे पता है कि मेरी इस राय से कुछ लोग नाराज होंगे लेकिन उचित समय पर राय न रखना भी कायरता है। मैं पच्चीस सालों से पार्टी की सेवा कर रहा हूं और सब कुछ जानता हूं। चर्चा के दौरान राजू सिंह सेंगर ने बताया कि जिले के प्रमुख पदों पर पार्टी द्वारा ब्राम्हण समाज को स्थान दिया गया। क्या राजपूत, ओबीसी और अल्प संख्यक कांग्रेस की ताकत नहीं है। राजू सिंह सेंगर ने बताया कि रीवा लोकसभा में लगभग 17 लाख बोटर है। आधी संख्या अन्य पिछड़ा वर्ग है, जिसमें 3 लाख के लगभग तो पटेल मतदाता हैं। अल्पसंख्यक सहित एससी, एसटी 6 लाख के करीब मतदाता है। 3 लाख 50 हजार ब्राम्हण, 1 लाख 70 हजार राजपूत एवं 2 लाख के करीब वैश्य मतदाता है। मतलब कि तीन से चार लाख ब्राम्हण बोटर को साधने के लिए कांग्रेस ने जिले में अन्य समाज के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया है।

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 ओबीसी होने की वजह से जिले के संगठन प्रभारी ने छीना पद

सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के जवा ब्लॉक अध्यक्ष प्रभाकर पटेल ने जिला संगठन प्रभारी प्रताप भानू पर आरोप लगाते हुये कहा कि ओबीसी समाज के होने की वजह से मेरा पद छीन लिया गया। और मेरे स्थान पर ब्राम्हण समाज से धानेंद्र द्विवेदी को ब्लॉक अध्यक्ष बना दिया गया। प्रभाकर पटेल ने बताया कि मुझे इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि जिले के संगठन प्रभारी प्रताप भानू ने मुझमें कोई कमी न दर्शाते हुये बिना सूचना दिये पद से पृथक कर दिया। बताया कि 2007 से कांग्रेस का सिपाही बनकर पूरी निष्ठा के साथ पार्टी के लिए काम करता रहा।  यही लग्र देख जवा के कांग्रेस नेता चक्रधर सिंह और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के प्रयासों से मुझे जवा ब्लॉक का अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन संगठन प्रभारी के आते ही जातिवाद का शिकार हो गया। उसके बावजूद भी कांग्रेस का सिपाही बनकर पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। 

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