Saturday, 1 April 2023

इंदौर में हवन की आहुति के साथ मंदिर की बावड़ी में समा गईं 36 जाने, जानिए कहां हुई लापरवाही और कौन है इसके लिए दोषी!

मध्य प्रदेश के इंदौर में रामनवमी के अवसर पर मंदिर में हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 36 पहुंच चुकी है। इस घटना ने पूरे देश  को झकझोर दिया है। जिस वक्त पूरे देश में रामनवमी का उत्सव चल रहा था, उसी दौरान आई इस खबर ने सभी को अंदर से हिला दिया। भगवान की भक्ति में डूबे लोग इस बात से अंजान बिलकुल भी अनजान कि जिस जगह वो बैठे हैं, उसके ठीक नीचे मौत उनका इंतजार कर रही है। 
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हादसे के बाद ऐसे चला बचाव कार्य 

मंदिर में सुबह 9 बजे- हवन शुरू हुआ।  11 बजे- बावड़ी के ऊपर बना स्लैब टूटा और लोग नीचे जा गिर गए। दोपहर 12 बजे- बावड़ी में गिरे लोगों को निकालना शुरू किया। दोपहर 12:30 बजे- पुलिस और नगर निगम की टीम मौके पर पहुंची। दोपहर: 2:30 बजे के करीब एसडीआरएफ की टीम पहुंची। दोपहर 3 बजे- पहला शव बरामद हुआ। उसके बाद शाम 6 बजे तक एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई। रात होने के बाद करीब 9 बजे- महू से आर्मी की यूनिट आ गई। रात 1 बजे तक मृतकों संख्या 22 हो गई।  वहीं सुबह के 4 बजे तक मरने वालों का आंकड़ा 35 पहुंच गया। दोपहर 1 बजे- आखिरी शव निकाला गया। 

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गैरइरादान हत्या का मामला दर्ज

रामनवमी पर मंदिर में हवन का कार्यक्रम रखा गया था।  हवन के बाद जब आरती के लिए श्रद्धालु खड़े हुए, उसी दौरान यह हादसा हुआ और स्लैब टूट गया।  जिसके बाद लोग धड़-धड़ाकार उसमें गिर गए जिससे लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद इंदौर नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने कार्रवाई करते हुए स्थानीय बिल्डिंग इंस्पेक्टर और बिल्डिंग ऑफिसर को निलंबित कर दिया है। जबकि, राज्य सरकार की ओर से भी मजिस्ट्रेट जांच बैठाई गई है। जिसकी जिम्मेदारी इंदौर कलेक्टर टी. इलैयाराजा ने अपर कलेक्टर को सौंपी है। 15 दिन में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं।  वहीँ इंदौर पुलिस कमिशनर मकरंद देउस्कर के मुताबिक मामले में मंदिर समिति के अध्यक्ष और सचिव पर गैरइरादान हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। 

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जानिए फर्श बनाने में कैसे हुई लापरवाही 

बताया गया है कि इंदौर के स्नेह नगर इलाके में बना बेलेश्वर महादेव मंदिर करीब 50 साल पुराना है, जबकि बावड़ी 100 साल से भी पुरानी है।  यह बावड़ी  पहले खुली थी।  करीब 25 साल पहले इसके ऊपर एक स्लैब डाल दिया गया और धीरे-धीरे वह मंदिर का हिस्सा बन गया, जो कि अवैधरूप से किया गया निर्माण था।  रामनवमी के अवसर पर जब श्रद्धालु बड़ी संख्या में वहां इकट्ठे हुए तो बावड़ी के ऊपर बना स्लैब लोगों का भार सह नहीं पाया और टूट गया और लोग उसमें समा गए।  जिस फर्श पर लोग खड़े हुए थे, दरअसल यह फर्श एक पुरानी बावड़ी के ऊपर बना दी गई थी। यह बावड़ी करीब 50 फीट गहरी थी, जिसे भरे बिना ही उस पर लिंटर डालकर फर्श बना दी गई थी। 

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