Thursday, 19 January 2023

घूस लेने में गरीब पर भी नहीं आया रहम, तहसील का बाबू लोकायुक्त के शिंकजे में फंसा

मध्यप्रदेश के रीवा जिले में घूसखोर गरीब पर सभी रहम करते हैं। समाज का ऐसा कोई व्यक्ति न होगा जो जिसके दिल में गरीबों के लिए श्रद्धा और सहयोग की भावना नही होती। भिक्षाटन कर या फिर मजदूरी कर अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं। लेकिन घूंसखोरों की दुनियां में आज भी ऐसे लोग हैं जो गरीबों का खून चूस कर कहें या फिर उनके और उनके मासूम बच्चों का निवाला छीन कर अपने और अपने औलादों के ऐशोआराम की व्यवस्था करते हैं। इनके दिल में रहम नाम की कोई चीज ही नहीं होती या यूं कहूं कि पैसों की भूख ने इन घूंसखोरों को पत्थर दिल का इंसान बना डाला। उन्ही में एक सेमरिया तहसीलदार का रीडर रावेंद्र शुक्ला निकला। जिसे लोकायुक्त की टीम ने एक गरीब का खून चूसते हुये रंगे हाथों धर दबोचा। कहते तो हैं कि घूंस खोर रीडर रावेंद्र शुक्ला ने नायब तहसीलदार सौरव द्विवेदी के कहने पर सेमरिया तहसील के ग्राम बरा निवासी रामप्रकाश साकेत से घंूस मांगी थी। हलांकि इस आरोप की जांच लोकायुक्त द्वारा की जा रही है। जांच के बाद ही सिद्ध होगा कि घूंसखोरी में नायब तहसीलदार सौरव द्विवेदी के भूमिका थी या नहीं।

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महिला उप निरीक्षक के पति है सेमरिया तहसीलदार

बताते चले कि सेमरिया प्रभारी तहसीलदार सौरव द्विवेदी रीवा के साइबर सेल में पदस्थ महिला उप निरीक्षक अंकिता मिश्रा के पति हैं। जो बीते कई दिनों से छुट्टी में चल रही हैं। बुधवार के दिन जब लोकायुक्त एसपी गोपाल सिंह धाकड़ के निर्देश पर 16 सदस्यी टीम ने सेमरिया तहसील में दबिस दी तो पता चला कि तहसीलदार सौरव द्विवेदी उपस्थित नहीं थे। तहसीलदार के बाबू रावेंद्र शुक्ला ने जैसे ही ग्राम बरा निवासी रामप्रकाश साकेत से 4 हजार रुपये घंूस के लिए वैसे ही इशारा समझते ही लोकायुक्त की टीम तहसील में धड़धड़ा कर घुस गई और सीधे जाकर तहसील के बाबू रावेंद्र को धर दबोची। अचानक हुई कार्रवाई से तहसील परिसर में हड़कंप मच गया। लोगों की भीड़ घूंसखोर बाबू को देखने के लिए उमड़ पड़ी।

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पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष का भाई है घूंसखोर बाबू

स्थानीय लोगों ने बताया कि लोकायुक्त के शिकंजे में फंसा तहसीलदार का रीडर स्थानीय निवासी होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी से नगर परिषद सेमरिया को पूर्व अध्यक्ष था। एक तो स्थानीय दूसरा राजनैतिक संरक्षण होने की वजह से तहसीलदार के बाबू रावेंद्र शुक्ला अपनी अलग ही धौंस बनाये हुये था। बताया जाता है कि किसी का भी काम वह बिना घूंस लिये नहीं करता था। उस पर न तो अधिकारियों को जोर चलता था और न ही सिफारिश का। वह मानता था तो केवल गांधी छाप कागज को चाहे वह गरीब की जेब का हो फिर अमीरों की पॉकिट का।

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बीमार घर वालों के इलाज के लिए बनवा रहा था राशन कार्ड

लोकायुक्त एसपी गोपाल सिंह धाकड़ ने बताया कि सेमरिया तहसील का बाबू रावेंद्र शुक्ला शिकायतकर्ता रामप्रकाश साकेत से गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनाये जाने के लिए 5 हजार रुपये की घूंस मांगा था। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके परिवार के सदस्यों की तबियत खराब रहती है। जिसके उपचार के लिए शासन की योजना का लाभ पाने के लिए एक माह पूर्व गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनाये जाने का आवेदन दिया था। तभी तहसीलदार के रीडर ने पैसे की मांग की थी। किसी कदर 1 हजार रुपये की व्यवस्था कर रीडर को पैसे दिये थे। लेकिन वह 5 हजार रुपये के लिए अडिग था। 

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नायब तहसीलदार पर भी लगा है आरोप

लोकायुक्त एसपी ने बताया कि शिकायतकर्ता ने सेमरिया तहसील के प्रभारी नायब तहसीलदार सौरव द्विवेदी सहित उनके रीडर पर घूंस मांगे जाने की लिखित शिकायत की थी। आवेदन पत्र को संज्ञान में लेते हुये आरोपियों को रंगेहाथ पकडऩे के लिए जाल बिछिया था। जिसमें बुधवार के दिन जाल में प्रभारी तहसीलदार का रीडर फंस गया। आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विवेचना में ले लिया गया है।

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