Tuesday, 31 January 2023

राहुल गांधी की श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर कांग्रेस की उम्मीदों पर फिरा पानी, जानिये कैसे

खराब मौसम के कारण कई पार्टियों के नेता नहीं पहुंच पाये श्रीनगर 


Rahul Gandhi concludes Bharat Jodo Yatra in Srinagar: नई दिल्ली. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा  का समापन सोमवार को श्रीनगर में हो गया। इस यात्रा के  समापन में विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस की उम्मीदों पर झटका लगा है। दरअसल खराब मौसम के चलते कई नेता वहां पहुंच नहीं पाये। यात्रा के समापन पर कांग्रेस को विपक्षी नेताओं की लंबी कतार लगने की की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी को निराशा हाथ लगी। पार्टी द्वारा यात्रा के समापन कार्यक्रम में करीब 23 दलों को आमंत्रित किया था, लेकिन केवल 8 दलों के नेता ही इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

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खराब मौसम ने सारा खेल बिगाड़ दिया

भारी बर्फबारी के बीच सोमवार को राहुल गांधी द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा का समापन हो गया। लेकिन इतने दिनों से चल रही इस यात्रा के समापन पर खराब मौसम ने सारा खेल बिगाड़ दिया। कांग्रेस को खराब मौसम के कारण विपक्षी एकता दिखाने का मौका हाथ से छूट गया। यात्रा के समापन समारोह में महज आठ विपक्षी दलों के नेता ही शामिल हो पाये। श्रीनगर में भरी बर्फबारी के चलते कई नेता दिल्ली में ही फंस गए। समापन समारोह में नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, पीडीपी, आरएसपी, वीसीके, जेएमएम, आइयूएमएल और सीपीआइ के नेता ही शामिल हो पाये। नेशनल कांग्रेस प्रमुख फारूख अब्बदुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सभा के दौरान संबोधित किया। बसपा से सांसद श्याम सिंह यादव भी शामिल हुए। जबकि एनसीपी, शिवसेना जैसे कई दलों के नेता आयोजन में शामिल नहीं हो पाये। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने समारोह में 23 दलों के नेताओं को न्यौता दिया था। जिनमें से 13 दलों के नेताओं ने आयोजन में आने की सहमति दी थी।

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भगवान शिव और इस्लाम का जिक्र

यात्रा के समापन समारोह में राहुल गांधी ने भगवान शिव और इस्लाम का जिक्र करते हुए कश्मीरियत के महत्व को समझाया। बर्फबारी के बीच उन्होंने शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित हुए समारोह में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कश्मीरियत में भगवान शिवजी की सोच है। भगवान शिव अपने आप और अहंकार पर आक्रमण करना सिखाते हैं। दूसरी तरफ इस्लाम में फना का तत्पर्य अपनी सोच पर आक्रमण करना है। इस धरती पर इन दो विचारधाराओं का गहरा नाता है, जिसे हम कश्मीरियत कहते हैं और इसे ही गंगा-जमुनी तहजीब कहा जाता है।

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