Wednesday, 12 April 2023

Rewa में दस करोड़ के घोटाले में जल संसाधन विभाग के नौ अफसरों पर एफआइआर, जानिए कैसे की गई बंदरबाट


रीवा। भ्रष्टाचार को लेकर चल रही जांच के बाद जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) के नौ अफसरों पर प्रकरण दर्ज किया गया है। जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि दस करोड़ रुपए की आर्थिक अनियमितता इन अधिकारियों द्वारा की गई थी। बतादें कि साल 2009 में लोकायुक्त कार्यालय (Lokayukta Office) में इसकी शिकायत रीवा शहर के नेहरू नगर निवासी राजेश सिंह एवं डॉ. आरबी सिंह द्वारा की गई थी। इस मामले में कई वर्षों तक जांच चली, संबंधित अधिकारियों के भी पक्ष सुने गए और शिकायत में दिए गए दस्तावेजों का परीक्षण भी हुआ। जिसके बाद नौ अधिकारियों की भूमिका भ्रष्टाचार में लिप्त पाई गई है। इस कारण इन अधिकारियों के विरुद्ध धारा  7, 13(1)बी, 13 (2) पीसी एक्ट 1988 संशोधन अधिनियम 2018 एवं 420,467,468, 471  एवं 120बी भादवि के तहत एफआइआर दर्ज की गई है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि गुरमा जलाशय के उन्नयन और मरम्मत कार्य के लिए 35 करोड़ रुपए वर्ष 2008 में स्वीकृत हुए थे। जिसमें जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कूटरचित दस्तावेज (forged document) तैयार कर फर्जी भुगतान करवा दिया। इसकी शिकायत पहले विभागीय अधिकारियों से की गई थी लेकिन उनकी ओर से किसी तरह की जांच नहीं कराई गई बल्कि मामले को दबाने का प्रयास किया गया।

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इन अधिकारियों पर मामला  दर्ज हुआ

लोकायुक्त की रीवा इकाई ने आर्थिक अनियमितता (financial irregularity) के मामले जिन अधिकारियों को आरोपी बनाया है, उसमें प्रमुख रूप से एसए करीम तत्कालीन मुख्य अभियंता, एमपी चतुर्वेदी, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री मण्डल रीवा, राममूर्ति गौतम तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग संभाग रीवा, विनोद ओझा तत्काकालीन उपयंत्री एवं प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी, अजय कुमार आर्य तत्कालीन उपयंत्री, पीके पाण्डेय तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, भूपेन्द्र सिंह तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, ओपी मिश्रा तत्कालीन उपयंत्री, आरपी पाण्डेय तत्कालीन उपयंत्री आदि शामिल हैं।
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ये है पूरा मामला 

शिकायतकर्ताओं द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी कि आरोपियों द्वारा गुरमा जलाशय (Gurma Reservoir) के मार्डनाईजेशन एवं वाटर रिस्टक्चरिंग योजना (Modernization and Water Restructuring Scheme) के ठेके वाले काम में फर्जी भुगतान, गुरमा जलाशय के अलावा बेलहा जलाशय में पुराने कार्य पर नया कार्य कराने एवं कार्य मात्रा बढ़ाकर भुगतान करने तथा राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना  (National Employment Guarantee Scheme) के कार्यों, फोटोकापी आदि के भुगतान में गड़बड़ी (payment error) कर दस करोड़ का भ्रष्टाचार किया गया है। शिकायत की जांच किए जाने पर प्रकरण में बिना कार्य कराए फर्जी भुगतान कर शासन को 3.97 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने एवं कार्यों के माप पुस्तिका में दर्ज कर 68.84 लाख रुपए का ठेकेदार को फर्जी भुगातन किए जाने का मामला सामने आया है। इसके अलावा अन्य कई ऐसे भुगतान फर्जी पाए गए हैं जिनमें करोड़ों रुपए का भुगतान हुआ है। इसलिए माना गया है कि अनियमितता की राशि दस करोड़ से ऊपर होगी। 

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इन कार्यों में भी हुआ फर्जीवाड़ा

लोकायुक्त अधिकारियों (Lokayukta officers) ने जांच के दौरान पाया है कि कई ऐसे कार्यों के नाम पर भुगतान किया गया, जिन किसी तरह का कार्य हुआ ही नहीं है। गुरमा बांध के नीचे सीपेज डैम, पिचिंग कार्य, मुख्य नहर के सर्विस रोड वितरिका नहर, स्टेक्चरों के रिपेयर एवं लाइनिंग, निर्धारित स्पेशिफिकेशन में न कराकर गुणवत्ता विहीन घटिया मटेरियल (poor quality material) का उपयोग करते हुए तथा कुछ कार्य बिना कराए ही एकराय होकर ठेकेदारों को अनियमित भुगतान कर शासन को करोड़ो रुपए का आर्थिक क्षति कारित की गई है। इसी प्रकार पुलियों की सफाई एवं पुताई कराकर नवीन पुलिया का निर्माण बताना, नहरों की सड़कों पर बिना अर्थवर्क एवं मुरुम बिछाए नया कार्य बताकर भुगतान करना, मुख्य नहर से निकाली गई मिट्टी नहर बैंक में डालकर अलग से ढुलाई बताकर भुगतान करना, गुरमा जलाशय के पुनरुद्धार में बिना कार्य कराए भुगतान करना, फोटोकापी ब्लूप्रिंट एवं कम्प्यूटर टायपिंग के कार्यों में करोड़ों का फर्जी भुगतान करना, ठेकेदार को अनावश्यक समयावृद्धि (unnecessary time increase) देना, बेलहा तालाब का कार्य पूर्व में कराया गया था, जिसे पुन: नवीन कार्य दिखा कर फर्जी भुगतान करना पाया गया है।  

जल संसाधन के भुगतान से जुड़ी शिकायत आई थी। जांच में आरोप सही पाए गए हैं और करीब दस करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक अनियमितता प्रथम दृष्टया सामने आई है। विभाग के नौ तत्कालीन जिम्मेदारों पर एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है।

गोपाल सिंह धाकड़, एसपी लोकायुक्त रीवा

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