शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती रविवार दोपहर 3.21 बजे मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में ब्रह्मलीन हो गए। द्वारका शारदा पीठ व ज्योर्तिमठ बदरीनाथ के शंकराचार्य थे। स्वामी जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीती हरितालिका पर्व पर उनका भक्तों ने 99वां प्रकटोत्सव मनाया था। बताया गया है कि उन्हें आश्रम में ही सोमवार सायं चार बजे समाधि दी जाएगी। स्वामी जी के निधन से संत समाज में शोक है। देश की बड़ी हस्तियों में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएम कलमनाथ, कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य लोगों ने शोक जताया है।
साधू-संतों को ऐसे देते हैं भू-समाधि
शैव, नाथ, दशनामी, अघोर और शाक्त परम्परा के अनुसार साधु-संतों को भू-समाधि दी जाती है। साधू-संतों की भू-समाधि के दौरान पद्मासन या सिद्धि आसन की मुद्रा में बैठाकर जमीन में दफन किया जाता है। संतों को समाधि प्राय: उनके गुरु की समाधि के आसपास या मठ में दी जाती है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को भी भू-समाधि उनके आश्रम में ही दी जाएगी।
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