वीरेन्द्र सिंह सेंगर बबली
रीवा. जिसके हाथ कानून की बागडोर हो वही कानून की धज्जी उड़ाये ऐसा सुन कर यकीन नहीं होता। लेकिन यह बात सत्य है। जनता में एक ओर जहां गुंडों-माफियाओं को भय सताता है वहीं दूसरी ओर माफियागिरी में उतरी पुलिस का भय आमजनमानत को सताता है। आश्चर्य तो तब हो गई जब सीमावर्ती जिले की पुलिस रीवा में घुस कर माफियागिरी को अंजाम दे गई और रीवा पुलिस को कानो कान भनक नहीं लगी। रीवा पुलिस को उस वक्त जानकारी लगी जब सतना जिले से रीवा कोतवाली पुलिस को फोन आया और कोतवाली पुलिस ने पीडि़त परिवार को सूचना दी।
अपहरण या फिर पुलिसिया कार्रवाई?
बताया गया कि रविवार की शाम अलग-अलग तीन वाहनों में खाखीधारी कोतवाली क्षेत्र के जोरी गांव पहुंचे। वहां से कबाड़ दुकान संचालक सुनील बंसल पिता मेवालाल निवासी धोबिया टंकी को जबरन अपने वाहन में बैठा लिया। इतना ही नहीं दुकान में लगे ताले को हथौड़े से वार कर तोड़ डाला और दुकान के अंदर जा घुसे। परिजनों को आरोप है कि दुकान के काउंटर में लगभग ढ़ाई लाख रुपये रखे हुये थे। जिसे खाखीधारियों ने अपने जेब में डाल लिया। खाखीधारी कहां के है कौन थे स्थानीय जनों के पूछने पर जवाब नहीं मिल रहा था। खाखीधारी आंधी की तरह आये और तहस-नहस कर दुकान संचालक को अपहरण कर तूफान की तरह गायब हो गये। इस बात की जानकारी जब परिजनों को लगी तो वह कोतवाली, समान, सिविल लाइन, बिछिया सहित शहर के अन्य थानों की चौखट पर जाकर तलाशते रहे, यहां तक कि पुलिस कंट्रोल रूम तक का दरवाजा खटखटाया। लेकिन खाखीधारी द्वारा अपहरण किये गये सुनील बंसल का पीडि़त परिवार को कोई सुराग नहीं लगा। सुबह जानकारी मिली कि खाखीधारी कोई अपहरणकर्ता नहीं सतना जिले के अमरपाटन थाना की पुलिस है। पीडि़त परिवार के परिजनों का सवाल है कि अमरपाटन पुलिस द्वारा किया गया यह कार्य अपहरण की श्रेणी में आता है या फिर पुलिसिया कार्रवाई में।
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