वीरेंद्र सिंह सेंगर बबली
रीवा। मऊगंज विधानसभा के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी इन दिनों सिरमौर विधानसभा के अपने राजनैतिक भविष्य का कुरूक्षेत्र चुना है। विधानसभा क्षेत्र में लगातार बैठकें कर रहे है। सिरमौर विधानसभा की जनता अपना अगला विधायक किसे चुनती है यह बात तो अभी गर्त पर है। लेकिन पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी आने वाले समय में अपने को सिरमौर का विधायक मान रहे है। बीते दो पंचवर्षी से दिव्यराज ङ्क्षसह सिरमौर से भाजपा विधायक चुने जा रहे है। यह अलग बात है कि भाजपा विधायक होने के बावजूद भी दिव्यराज सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में कोई ऐसा विकास कार्य नहीं किया जो सुर्खियों पर आया हो। यहां तक की तराई अंचल भी विकास के नाम पर शून्य ही रहा। जहां की जनता अपना विधायक तय करती है। यही वजह है कि भाजपा के विधायक दिव्यराज के दिव्य महल को धसाने के लिए लक्ष्मण तिवारी तराई अंचल में उनके ही कार्यकर्ताओं में तोड़ भांज करने के साथ ही उनके बोट बैंक पर सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं जनता के बीच दिव्यराज सिंह की छवि धूमिल करने के लिए कोई न कोई आरोप लगाते रहते हैं। जैसा कि हाल ही अतरैला में हटाये गये अवैध अतिक्रमण पर सारा ढ़ीकरा पूर्व विधायक लक्षमण तिवारी के चहेते भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह के सिर फोड़ रहे। कुछ माह पहले पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह के विरोध पर अर्नगल बातें कर जनता के बीच सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया था। जिस पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया था।
तराई अंचल के बोटों से विधायक का होता है निर्णय
सिरमौर विधानसभा फैसला तराई अंचल के मतदाताओं से होता है। तराई अंचल में अन्य वर्ग के बोटों के साथ ही दलित एवं आदिवासियों के साथ पिछड़ा वर्ग के मतदाता है। पिछड़ा वर्ग और दलित आदिवासियों के बोट ही निर्णायक बोट होते हैं। जिन पर सेंध लगाने के लिए पूर्व विधायक लक्षमण तिवारी ब्राम्हण वर्ग के कार्यकर्ताओं से निशाना साध रहे। देखना यह है कि कभी सर्वण समाज पार्टी का गठन करके बसपा की नीति का विरोध करने वाले पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी तराई अंचल के दलित आदिवासी मतदाताओं को कैसे साध पाते हैं।
किस पार्टी से उतरेंगे चुनाव मैदान में बना है संशय
कभी भाजपा से मऊगंज विधानसभा के विधायक रहे लक्ष्मण तिवारी को लेकर सिरमौर विधानसभा इस बात को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ कि आखिर वह किस पार्टी से चुनाव मैदान में उतरेंगे। भाजपा में तो उनको कोई स्थान दिखाई नहीं देता। एक समय में बसपा के घोर विरोधियों में उनकी गिनती होती थी। बसपा में शामिल होने की उनकी उम्मीद की किरण दिखाई नहीं देती। सिरमौर विधानसभा में सपा की कोई बोट बैंक नहीं है। कांग्रेस से अपने खुद के कई दावेदार है जो जनता की बीच लगातार संपर्क बनाये हुये है। आम आदमी पार्टी उभरती हुई पार्टी के नाम से जानी जाती है। जनता के बीच अब सवाल यह उठता है भाजपा के पूर्व विधायक लक्षमण तिवारी आखिर किस पार्टी से सिरमौर विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरेंगे मतदाताओं के बीच यह संशय बना हुआ है।
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