Rewa News: तुलसी साहित्य के अध्ययन एवं अनुशीलन से युवाओं में होगा संस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

Tuesday, 13 August 2024

/ by BM Dwivedi

रहिये अपडेट, रीवा। भारतीय साहित्य के इतिहास में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित द्वादश ग्रन्थों का अध्ययन, अनुशासन तथा मर्यादा के पालन की स्थापना करने का सर्वोत्तम उपाय है। मनुष्य जीवन के लिए व्यवहारिक नैतिक पक्ष, समाज के हर वर्ग समुदाय को जोड़ने की सोच, परस्पर प्रेम भाव की गहरी समझ हमे तुलसी साहित्य के माध्यम से मिलती है। युवाओं में तुलसी साहित्य के अध्ययन और अनुशीलन से सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण संभव है। ये विचार मानस मंडल द्वारा आयोजित पंचदिवसीय तुलसी जयंती समारोह के अवसर पर उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने व्यक्त किए। उन्होंने मानस मंडल द्वारा किए जा रहे आयोजनो की सराहना की तथा आशा व्यक्त की कि ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा समाज में राम के आदर्श तथा उनके धैर्य, संयम एवं पराक्रम के सकारात्मक उपयोग का संदेश पहुंचेगा, जो लोक हित में मानस मंडल द्वारा किया गया सर्वोत्तम कार्य है। इस मौके पर संगीत आचार्य राजेश शुक्ला एवं नीलम सिंह द्वारा विनय पत्रिका के पदों का गायन प्रस्तुत किया गया। इसी प्रकार डभौरा से पधारी कुमारी वर्षा तिवारी एवं खुशी तिवारी ने भी अपने भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में डॉ. ज्ञानवती अवस्थी, डॉ. आरपी सिंह, डीपी सिंह परिहार, डॉ. प्रभाकर चतुर्वेदी, लाल बहादुर सिंह, हितेंद्रनाथ शर्मा, राजभान सिंह, अवधेश श्रीवास्तव, राजेश भल्ला, संग्राम सिंह, लालजी शर्मा, माहेश्वरी त्रिपाठी, भगवती त्रिपाठी, वीरेंद्र मिश्र, मंगल प्रसाद गुप्ता, डॉ. अशोक श्रीवास्तव, एड. पवन तिवारी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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तुलसी ने जीवन के हर क्षेत्र का किया मार्गदर्शन
अयोध्या के सन्त डॉ. रघुवरदास वेदांती महाराज ने कहा कि मानव जीवन के हर क्षेत्र का मार्गदर्शन गोस्वामी तुलसीदास ने किया है। राम के आदर्श को जन-जन में स्थापित करने का कार्य उनके साहित्य द्वारा हुआ तभी राम जगत पूज्य बन पाए। पूर्व जिला न्यायाधीश अरुण कुमार सिंह ने प्रतिपादित किया कि राम के पूर्व दशरथ का राज्य धर्म राज्य था। तुलसीदास ने राम राज्य की कल्पना की जिसमें सिंह और गाय एक ही घाट पर पानी पीते थे, यह प्राणियों में परस्पर प्रेम का अनुपम दृष्टांत है। 

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मानस मंदाकिनी का लोकार्पण
मानस मंडल द्वारा अभिनव प्रयोग करते हुए मानस डायरी मानस मंदाकिनी का प्रकाशन किया गया है जिसे 1000 लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य अध्यक्ष  सुभाष बाबू पांडे द्वारा रखा गया है। मानस मंदाकिनी का लोकार्पण उप मुख्यमंत्री एवं वेदान्ती महाराज तथा एके सिंह, अरविंद तिवारी, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष बाबू पांडेए एवं मुकुंद मिश्रा, प्रतिमा द्विवदी ने सामूहिक रूप से किया। कार्यक्रम में कलाकारों और छात्रों का सम्मान किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से अभय चौरसिया, शशि त्रिपाठी, ज्ञानेंद्र सिंह, आदित्य कुमार दहिया, अनुराधा तिवारी, बरसा तिवारी, खुशी तिवारी, कृष्ण सोंधिया, आयुष कुशवाहा, प्रांजल गुप्ता, अभिषेक सोंधिया, स्वाती श्रीवास पुरस्कृत किए गए। 

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