National Workshop on Glorious Past of Tribal Society at TRS College: रीवा. टीआरएस महाविद्यालय में जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत; सामाजिक, ऐतिहासिक, आध्यात्मिक विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राजेंद्र ताम्रकार ने कहा कि जनजातीय समाज की संरचना सामूहिकता, सहकारिता और प्रकृति-परायणता पर आधारित है। वे प्रकृति के सच्चे संरक्षक रहे हैं और आज के पर्यावरण संरक्षण के विचारों से कहीं आगे हैं। लोककथाएं, नृत्य, संगीत और कला इनकी संस्कृति की आत्मा हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी ने कहा कि हम सबका कर्तव्य है कि जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लें और उनके अधिकारों, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करें। जब तक उनकी परंपराएं जीवित रहेंगी, भारत की मूल आत्मा जीवित रहेगी। वहीं मुख्य वक्ता डॉ. उत्तम द्विवेदी ने कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर महाकाव्य काल और उसके बाद, जनजातीय समाज ने अपनी परंपराओं, वीरता और जीवनशैली से भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया है। विषय परिवर्तन करते हुए प्रो. अखिलेश शुक्ल ने कहा किजनजातीय समाज का सामाजिक ढांचा सामूहिकता और समरसता पर आधारित रहा है। जनजातीय समाज का इतिहास संघर्ष, वीरता और स्वाभिमान से परिपूर्ण रहा है। कार्यशाला में सुरेश मौर्य, प्रो. रवीन्द्र कुमार धुर्वे, सन्तोष अवधिया, रोशनी मैत्रैय, जयकरण साकेत, डॉ. एसपी शुक्ल, डॉ. महानंद द्विवेदी, डॉ. सुशील दुबे, डॉ. गायत्री मिश्रा, डॉ. नागेश त्रिपाठी सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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