रीवा. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च दिन रविवार से हिंदू नव संवत्सर सिद्धार्थ के साथ ही चैत्र नवरात्रों का प्रवेश हो गया। इस दिन प्रतिपदा तिथि उदय होकर अपरान्ह तक व्याप्त रहेगी, जिस कारण चैत्र नवरात्रों की घट स्थापना तथा देवी पूजा का श्री गणेश होगा। ज्योतिषविद् चूड़ामणि शर्मा के अनुसार मां दुर्गा का वाहन शेर माना गया है लेकिन नवरात्र का प्रारंभ रविवार एवं विसर्जन सोमवार को होने से इस वर्ष देवी का आगमन एवं प्रस्थान हाथी से होगा। देवी का हाथी पर सवार होकर आना शास्त्रों के अनुसार बेहद शुभ माना गया है। इन नौ दिनों में भक्त व्रत रखकर पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
उधर नवरात्र पर्व को लेकर शहर के रानी तालाब मंदिर में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। रानी तालाब मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है। नवरात्र के दौरान प्रतिदिन हजारों लोग मां के दर्शन करने पहुंचते हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा मंदिर परिसर में बैरिकेटिंग लगाने के साथ साफ-सफाई और रंग-रोगन कराया गया है। साथ ही पेयजल सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाएं दुरूस्त कर ली गई है। भक्तों के कतारबद्ध होकर दर्शन के लिए मंदिर परिसर में बैरिकेटिंग लगा दी गई है। वहीं मेला के लिए दुकाने भी सज गई हैं। पूरे नौ दिन मेला और मंदिर परिसर में सुरक्षा का कड़ा इंतजाम रहेगा। वहीं समान स्थित फूलमती माता मंदिर और नईगढ़ी की अष्टभुजा धाम में भी विशेष साफ-सफाई सहित सुरक्षा व्यवस्था का पूरा इंतजाम किया गया है।
अष्टभुजा के दरबार में दूर-दूर से आते हैंभक्त
मऊगंज जिले के नईगढ़ी कस्बे में स्थित माता अष्टभुजा के दरबार में नवरात्र के दौरान प्रदेश के अलावा बाहर से भी भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। माता अष्टभुजा के दर्शन के लिए यूपी और बिहार से श्रद्धालु आते हैं। मां अष्टभुजा परिसर में भी साफ-सफाई के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं सुनश्चित की गई हैं।
घट स्थापना का मुहूर्त
30 मार्च 2025 को रेवती नक्षत्र शाम 4.35 तक रहेगा अत: घट स्थापना के लिए यह नक्षत्र शुभ माना गया है। घटस्थापना का प्रात: मुहूर्त 5.59 से 10.06 प्रात: तक। घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त 11.45 प्रात: से 12.34 दोपहर तक।
ऐसे करें घट स्थापना
घटस्थापना से नवरात्र में देवी पूजा का श्रीगणेश होता है घट स्थापना करने के लिए सर्वप्रथम खेत की मृतिका की सतह बनाकर उसमें सप्तधान्य या जौ बो दें। कलश के उदर में गंगाजल, फूल, गंध, सुपारी, अक्षत, पंचरत्न एवं सिक्के डाले। कलश मुख में आम के पांच पल्लव लगाने के साथ लाल वस्त्र में बांधकर नारियल को स्थापित करें। कलश पर मंगलकारी चिन्ह स्वास्तिक अंकित करना चाहिए। तत्पश्चात देवी का आवाहन करते हुए उनका षोडशोपचार पूजन किया जाना चाहिए।
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