अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हमार बोली कार्यक्रम
रीवा. भाषा के महत्व को देखते हुए संस्कृति व बौद्धिक विरासत की रक्षा करने एवं भाषाई व सांस्कृतिक विविधता एवं बहुभाषावाद का प्रचार करने करने के साथ दुनियाभर की विभिन्न मातृभाषाओं के संरक्षण के लिए यूनेस्को हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इसी क्रम में मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केन्द्र के कलाकारों ने हमार बोली विषय पर संगोष्ठी आयोजित की।
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मेलों व उत्सवों को पुनर्जीवित करने की जरूरत
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार से सम्मानित कलाकार मनोज कुमार मिश्रा ने कहा कि हमें अपनी बोली को देवनागरी लिपि में लिखने और लिखे हुए को पढऩे के साथ ही बोलने की आवश्यकता है। अपनी बोली में बात करते हुए शर्म नहीं अभिमान होना चाहिए। बोलियां हमारे समाज, परम्परा और संस्कारों को बतातीं है, बोली हमारी पहचान है। वहीं सुधीर सिंह ने विंध्य की रूपंकर कलाओं की परंपरा पर प्रकाश डाला। विपुल सिंह देहातों के मेलों को पुनर्जीवित करने और उत्सवों के अवसरों को पुन: स्थापित करने की बात कही। विषय प्रवेश विनोद कुमार मिश्रा ने किया। इस अवसर पर सत्यम क्षेत्री, राजमणि तिवारी, अंशिका मिश्रा, सुमन मिश्रा, अजय सेन, प्रियांशु सेन, वैष्णवी द्विवेदी, राज कोरी, आदर्श पटेल, श्रुति कीर्ति द्विवेदी, दीया मिश्रा, ओंकार शर्मा, अरुणोदय सिंह आदि मौजूद रहे।
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