रीवा। जनपद कार्यालय रायपुर कर्चुलियान में सब ठीक ठाक नहीं चल रहा है। कहते है कि अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा हाल है। हालात यह है कि जनपद सीईओ के विरुद्ध जनपद सदस्य लामबंद होते जा रहे है। जो अपने वाले समय में जनपद क्षेत्र के विकास कार्र्याे में रूकावट के लिए बड़ा कारण बन सकते है। बताते चले कि सोमवार को जनपद कार्यालय रायपुर कर्चुलियान में सामान्य प्रशासन की बैठक आहुत की गई। जनपद सदस्य उस समय हतप्रभ रह गये जब सामान्य प्रशासन की बैठक सामान्य सभा में तब्दील हो गई। इतना ही नहीं बैठक की कार्रवाही पूरी नहीं हुई और जनपद सीईओ दस्तख्त बना कर चलते बने। यह तमाशा देख कर बैठक में शामिल होने आये जनपद सदस्यों में सीईओ को लेकर रोष जाग उठा। और यह कहते नजर आये कि इस तमाशाई बैठक का बहिष्कार किया जायेगा। वार्ड क्रमांक 10 के जनपद सदस्य शैलेंद्र सिंह पटेल ने तो जनपद सीईओ पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान उम्मीदवारों द्वारा जमा की गई लाखों रूपये की अमानत राशि का जनपद सीईओ द्वारा बंदरबाट कर लिया गया। जिन उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त नहीं हुई वह जनपद कार्यालय को चक्कट काटते-काटते थक गये। लेकिन आज भी उनकी निगाहें जनपद कार्यालय में जमा अपनी अमानत राशि के लौटने के लिए लगी हुई हैं।
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रीवा से चलता है रायपुर कर्चुलियान का जनपद कार्यालय
नियमत: कार्यालय प्रमुख से लेकर कर्मचारियों को अपने मुख्यालय में होना चाहिये। लेकिन जनपद सीईओ अपना मुख्यालय रीवा बनाये हुये है और वहीं से रायपुर कर्चुलियान जनपद कार्यालय का संचालन करते है। हालात यह हो गये कि जनपद कार्यालय का गेट आज भी चिलचिलाती धूप में दोपहर 12 बजे खुलता है। और फिर उसके बाद ही कर्मचारियों को कार्यालय में आना होता है। ऐसे में कार्यालीन सहित ग्राम पंचायतों को कार्य कैसे होगा यह तो सोचनीय पहलू है।
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सचिव बने भगवान, आदेश का नहीं करते पालन
ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव अपने का सरपंच से भी बढ़ कर स्वंय भू भगवान समझ बैठे। वार्ड क्रमांक 10 के जनपद सदस्य शैलेंद्र सिंह पटेल ने बताया कि पूर्व बैठक के दौरान यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि ग्राम पंचायतों में सरपंच और सचिव के नाम एंव मोबाइल नबंर के साथ ही जनपद सदस्यों के नाम एवं मोबाइल नबंर अंकित होना चाहिये। ताकि जरूरतमंद जनपद सदस्यों से भी दूरभाष पर संपर्क कर अपनी समस्याओं को अवगत करवा सके। लेकिन आज तक जनपद क्षेत्र के सचिवों ने ग्राम पंचायतों में न तो जनपद सदस्य के नाम का उल्लेख किया और न ही उनके मोबाइल नबंरो का।
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नाश्ते तक सीमित है जनपद कार्यालय की बैठकें
सामान्य सभा की बैठक हो या फिर सामान्य प्रशासन की। जनपद कार्यालय में होने वाली प्रत्येक बैठक केवल चाय-नाश्ता तक ही सीमित है। जनपद सीईओ की मंशा दिखाती है कि जनपद सदस्य आयें और आपस में दरबार करने के साथ ही चाय-नाश्ता करके चलते बने। विकास के मुद्दे पर कोई चर्चा या बहस न हो। इस बात को टालने के लिये जनपद सीईओ रजिस्टर में दस्तखत करते ही नदारत हो जाते हैं।
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