रहिये अपडेट, तिरुवनंतपुरम। केरल में साक्षरता अभियान की कामयाबी की सबसे बुलंद तस्वीर के तौर पर पहचानी जाने वालीं कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) का 101 साल की उम्र में अलप्पुझा में निधन हो गया। मस्तिष्काघात के बाद वह कुछ समय से बिस्तर पर थीं। कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) साक्षरता अभियान के तहत 96 साल की उम्र में पढ़ाई शुरू कर सुर्खियों में आई थीं। उन्हें सबसे उम्रदराज विद्यार्थी माना गया।
‘अक्षरालक्षम’ परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए
कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) ने ‘अक्षरालक्षम’ परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए थे। यह चौथी कक्षा की परीक्षा के समान होती है। अलप्पुझा जिले के चेप्पाड गांव में परीक्षा देने वाले 43,330 विद्यार्थियों में कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) सबसे उम्रदराज थीं। उन्हें वर्ष 2020 में महिला दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा था। उन्हें 2019 में ‘कॉमनवेल्थ लर्निंग गुडविल एम्बेसडर’ बनाया गया।
सबसे ज्यादा उम्र की शिक्षार्थी
कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) चुनौतियों के बावजूद पढ़ाई के संकल्प के कारण कई लोगों की प्रेरणा बनीं। उनके पति का काफी पहले निधन हो चुका था। गांव में मंदिरों के बाहर सड़कों पर झाडू लगाकर अपने छह बच्चों का लालन-पालन किया। जब बच्चे समर्थ हो गए, तब कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) ने खुद को साक्षर करने का फैसला किया। वह 2018 में सबसे ज्यादा उम्र की शिक्षार्थी बन गईं। केरल के सीएम पी. विजयन ने फेसबुक पर पोस्ट में लिखा, उनके शब्दों में आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प था।
बेटी से प्रभावित हुईं
कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) की बेटी अम्मिनी अम्मार ने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। वह अपनी बेटी से प्रभावित हुईं और ठाना कि खुद भी पढ़ाई करेंगी। गरीबी के कारण कात्यायनी अम्मा (karthyayaniAmma) 96 साल की उम्र से पहले कभी स्कूल नहीं गई थीं। परीक्षा में उनके प्रदर्शन पर केरल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री सी. रवीन्द्रनाथ ने उन्हें लैपटॉप भेंट किया था।
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