रहिये अपडेट, मैहर। मध्यप्रदेश के मैहर जिले की ज्योति चौधरी अपने विशेष हुनर की वजह से विश्वस्तर पर ख्याति हासिल कर रही हैं। दुर्लभ वाद्ययंत्र नल तरंग बजाने वाली ज्योति ने हाल ही में जी-20 सम्मेलन में अपनी प्रस्तुति दी थी। जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) स्वयं मंच से नल तरंग वादिका ज्योति की प्रशंसा की थी। विंध्य की इस बेटी को यह उपलब्धि 12 साल के कठिन परिश्रम के बाद हासिल हुई है। बतादें कि इस दुर्लभ वाद्ययंत्र नल तरंग को बजाने वाले दुनिया में बाबा अलाउद्दीन खान के बाद झूर्रे खा, सलिन शर्मा, प्रभु दयाल ही थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
विदेशी मेहमान हो गए थे मंत्रमुग्ध
ज्योति के मुताबिक जी-20 सम्मेलन के दौरान दिल्ली में भारत मंडपम के लिए दिल्ली संगीत अकादमी ने फॉरेन से आए डेलिगेट्स के लिए प्रोग्राम रखा था। इस आयोजन में देशभर के दुर्लभ वाद्ययंत्र बजाने वाले कलाकारों को आमंत्रित किया था। जी 20 में ज्योति की प्रस्तुति पर खूब तालियां मिलीं। इसके साथ ही साथ ही इस वाद्ययंत्र की चर्चा होने लगी। हालांकि ज्योति पहले भी दिल्ली में दो बड़े प्रोग्राम कर चुकीं हैं, लेकिन जी 20 सम्मलेन से उन्हें खूब ख्याति मिली। हाल ही में सतना दौरे पर आये प्रधानमंत्री ने मंच से ज्योति की सराहना की थी।
ऐसे बढ़ी नल तरंग के प्रति रूचि
ज्योति चौधरी का जन्म 15 जून 1990 को मैहर के चंदीदीन चौधरी के घर में हुआ। तीन बहनों में सबसे छोटी और भाई से बड़ी हैं। ज्योति ने 12वीं तक की पढ़ाई शासकीय कन्या पाठशाला मैहर से की। उनके पिता दुर्लभ वाद्ययंत्र बनाकर व संगीत गाकर परिवार का जीविकोपार्जन करते। ज्योति बचपन से ही पिता के हर काम में हाथ बंटाती थी। एक दिन यह दुर्लभ वाद्ययंत्र बनने के लिए आया, जिसमें गन बैरल और लोहे का स्टोक देखकर पिता से इस अनूठे वाद्ययंत्र के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि यह नल तरंग है। और इसे हर कोई नहीं बजा पाता है। देश-दुनिया में गिने-चुने लोग ही इसे बजाते हैं। तभी से ज्योति ने नल तरंग ही सीखने का मन बना लिया। बेटी की लगन देखकर पिता ने हर संभव सहायता की। पांचवीं कक्षा से ही ज्योति गन बैरल और लोहे का स्टोक लेकर बजाने लगी। जहां गलती होती पिता टोक देते। इसके बाद संगीत महाविद्यालय मैहर के संगीतकार गौतम भारतीय का साथ मिला, जिन्होंने ज्योति के हुनर को तराशा।
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