रहिये अपडेट, ,न्यूज़ डेस्क। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार और पिछली बार हुए विधानसभा चुनाव के 10 साल बाद अब जाकर विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाने हैं। आखिरी बार यहां चुनाव 2014 में हुए थे और तब से लेकर अबतक यहां बहुत कुछ बदल चुका है। 2015 में बनी पीडीपी-बीजेपी की सरकार 2018 में टूट गई। उसके बाद राज्यपाल तो उसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, इस दौरान नामुमकिन लगने वाला अनुच्छेद 370 हटाया गया, लाल चौक में तिरंगा फहरने लगा, पत्थरबाज़ी थम गई। जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया, फिर केंद्र शासित प्रदेश बन गया, इसके बाद बाहरी लोगों को भी जम्मू - कश्मीर में जमीन खरीदने का अधिकार मिल गया, जम्मू – कश्मीर का टूरिज्म एकाएक बूस्ट हो गया और यहां G - 20 की बैठक हुई, इस दौरान जम्मू कश्मीर का परिसीमन भी हुआ। 2014 में जम्मू कश्मीर में लद्दाख की 4 सीटें मिलाकर 87 विधानसभा सीटें थीं, लद्दाख के अलग होने के बाद सिर्फ 83 सीटें बचीं और परिसीमन के बाद 7 नई सीटें जोड़ी गईं जिनमे 6 जम्मू और 1 कश्मीर में बढ़ाई गई।
अब जम्मू कश्मीर में टोटल 90 सीटों पर चुनाव होंगे अब जम्मू कश्मीर में टोटल 90 सीटों पर चुनाव होंगे 43 जम्मू में और 47 कश्मीर में वहीं 5 विधानसभा सीटों में राज्यपाल को सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है तो कुलमिलाकर जम्मू - कश्मीर में 95 विधानसभा सीटें होंगी और सरकार बनाने के लिए 48 सीटों का बहुमत हासिल करना होगा। जम्मू कश्मीर में हुए इसी परिसीमन को बीजेपी की बड़ी स्ट्रैटजी माना जा रहा है। पिछले चुनाव में बीजेपी को जम्मू में 37 में 25 सीटें जीती थीं जबकि कश्मीर और लद्दाख में बीजेपी का खाता ही नहीं खुला था। क्योंकि जम्मू हिन्दू बहुल है और यहां परसीमन में 6 सीटें बढ़ाई गई हैं इसी लिए यहां बीजेपी को फायदा हो सकता है. वहीं कश्मीर में शांति स्थापित होने के बाद यहां भी बीजेपी का खाता खुलने की उम्मीद है हालांकि इस बार कांग्रेस , PDP और JKNC मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं जो पिछली बार अलग - थलग थे फिर भी बीजेपी ने ऐसी स्ट्रैटजी बनाई है जो या तो पार्टी को इस क्षेत्र में बड़ी जीत दिला सकती है या फिर बुरी तरह हरा भी सकती है। 25 से 40 साल की उम्र वाले ऐसे युवाओं को उम्मीदवारJammu-Kashmir में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार, और 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में बदल गया बहुत कुछ, जानिए क्या होगा असर
बीजेपी, जम्मू कश्मीर चुनाव में अनुभवी और वरिष्ठ नेताओं को नहीं बल्कि 25 से 40 साल की उम्र वाले ऐसे युवाओं को अपना उम्मीदवार चुनेगी जिनका बैकग्राउंड किसी राजनीतिक परिवार से न जुड़ा हो और ये उम्मीदवार समाजसेवी , विस्टल ब्लोअर , एथलीटस , और कला - संस्कृति से जुड़े हुए लोग होंगे। ऐसा करके बीजेपी जम्मू - कश्मीर के यूथ वोटर्स को अपनी तरफ आकर्षित करेगी , इससे उन लोगों को भी राजनीति में आने का मौका मिलेगा जिनका दूर दूर से पॉलिटिक्स से कोई कनेक्शन नहीं था इससे राज्य में एक अच्छा सन्देश जाएगा।
प्रत्याशियों के पैनल तैयार करने की जिम्मेदारी
ऐसे लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करने और उनमे से अपना उम्मीदवार चुनने के लिए विधानसभा के हिसाब से प्रभारी नियुक्त करेगी जिन्हे प्रत्याशियों के पैनल तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए बीजेपी ने पहले से एक लिस्ट बना भी ली है जिन्होंने न सिर्फ केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लिया है बल्कि दूसरे लोगों को भी योजनाओं से जोड़ने का काम कर रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि जम्मू कश्मीर की जनता अब यहां की क्षेत्रीय पार्टियां जैसे मेहबूबा मुफ़्ती की पीडीपी और उमंर अब्दुल्ला की JKNC पर दिलचस्पी नहीं दिखा रही है ऐसे में इस बात की संभावनाएं ज्यादा हैं कि जम्मू कश्मीर की राजनीति में नए लोग आएं और घाटी की पुरानी अलगाववादी सियासत को बदलकर राज्य को विकास के रास्ते पर ले जाने का काम करें। वहीं इस बार कांग्रेस से अलग होकर गुलाम नबी आज़ाद भी अपनी डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव आज़ाद पार्टी से अपने उम्मीदवारों को उतारने वाले हैं जो बीजेपी का सहयोग कर सकते हैं हालांकि इस पार्टी का एजेंडा वापस से 370 लागू करने का है जो पडीपी और JKNC का भी है.
चुनाव 3 फेज में होंगे
खैर बात चुनाव की करें तो इस बार जम्मू कश्मीर में 7 सीटें SC और 9 सीटें ST के लिए रिजर्व हैं साथ ही दो सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए हैं जिनमे से एक महिला सीट है हालाँकि इन दो सीटों में सदस्यों को चुनने का अधिकार राज्यपाल को है. वैसे जम्मू कश्मीर में टोटल 114 सीटें हैं जिनमे से 24 POK के लिए रिजर्व हैं फ़िलहाल वहां चुनाव नहीं हो सकते इसी लिए अभी 90 सीटों में चुनाव होंगे। ये चुनाव 3 फेज में होंगे। पहले फेज की वोटिंग 18 सितंबर को 24 सीटों पर , 25 सितंबर को दूसरे फेज की वोटिंग 26 सीटों पर और 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर तीसरे फेज की वोटिंग होगी और चुनाव का परिणाम 4 अक्टूबर को जारी होगा।
सरकार और इलेक्शन कमीशन और सेना तीनों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण
जम्मू - कश्मीर विधानसभा चुनाव कराना सरकार और इलेक्शन कमीशन और सेना तीनों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। क्योंकि यहां बीतें कुछ महीनों से आतंकी हमले और घुसपैठ बढ़ी है. ऐसी पूरी आशंका बनी हुई है कि आतंकी वोटिंग को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे हालाँकि जम्मू कश्मीर की जनता इस बात से खुश है कि उन्हें अपने राज्य की सरकार चुनने का अधिकार दिया गया है. जम्मू कश्मीर में कुल 87. 09 लाख वोटर्स हैं जिनमे 44. 46 लाख पुरुष और 42.62 लाख महिलाएं हैं जबकि 3.71 लाख नए वोटर्स हैं। इनके लिए 11 , 838 पोलिंग स्टेशन 735 बूथ बनाए गए हैं साथ ही कश्मीरी प्रवासियों के लिए दिल्ली, जम्मू और उधमपुर में भी स्पेशल पोलिंग बुथ बनाए गए हैं।
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