रहिये अपडेट, रीवा. शहर में डाक्टर की पीट-पीटकर हत्या के मामले में पुलिस शुरूआती से आरोपियों के पक्ष मेंं खड़ी रही है। यहां डाक्टर को पीटते पहुंचे आरोपियों पर पुलिस ने कार्रवाई करना तो दूर रहा, वापस उन्हीं के हवाले कर दिया। परिणाम स्वरूप दुबारा फिर से मारपीट होने से उनकी मौत होगी। मृतक डाक्टर की पत्नी सुनीता गुप्ता ने आरोप लगाया है कि पुलिस उनके डाक्टर पति को थाने से अस्पताल ले जाती तो शायद वह जिंदा होतें। बताया जा रहा है कि डाक्टर रूद्रसेन गुप्ता को नशामुक्ति के संचालक नीलेश तिवारी ने 19 अगस्त को फोन कर ऑफिस बुलाया। ऑफिस पहुंचने पर उनके साथ मारपीट की और बाद में डाक्टर के विरूद्ध छेड़खानी को आरोप लगाते हुए मारते हुए सिविल लाइन थाना पहुंचे। जहां सिविल लाइन पुलिस ने आरोपियों के राजनीतिक रसूख के आगे मामले पर एफआइआर दर्ज नहीं कर समझौता कराकर वापस आरोपियों को सांैप दिया। तत्पश्चात आरोपी फिर से लेकर जाकर नशा मुक्ति केन्द्र में मारपीट की। ऐसे में अब सिविल लाइन थाना प्रभारी पर सवाल उठ रहे हैं।
पुलिस स्वीकार कर रही समझौते की बात
बताया जा रहा है कि आरोपी भाजपा नेता के नजदीकी रिश्तेदार हैं यही कारण है पुलिस आरोपियों के साथ खड़ी मिली। जब आरोपी थाने तक डाक्टर को पीटते हुए पहुंचे तो वो डॉक्टर के खिलाफ पहले मामला दर्ज कराना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस अधिकारियों की सलाह पर मामला दर्ज नहीं कराकर वापस लौट आए। इस दौरान थाना प्रभारी ने मारपीट में घायल डाक्टर को अस्पताल नहीं भेजा। जबकि अपराधिक मामलों में किसी तरह के समझौता का अधिकार पुलिस को नहीं है। बावजूद पुलिस अधिकारी नियमों के बाहर जाकर समझौता कराते नजर आए।
थाना प्रभारी बोले आए थे आरोपी
इस संबंध में थाना प्रभारी कमलेश साहू ने बताया कि आरोपी महिला के साथ छेड़खानी का मामला दर्ज कराना चाहते थे। मामला विश्वविद्यालय होने के कारण वहां भेज दिया गया।
आरोपी सीसीटीवी कैमरे की रिकार्डिग लेकर फरार
इस हत्या के मामले में पुलिस देर रात आरोपियो की गिरफ्तारी नहीं की। परिणाम स्वरूप आरोपी हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने के लिए नशामुक्ति केन्द्र से सीसीटीवी कैमरा की रिकार्डिग हटाने के लिए आपने डीव्हीआर भी ले गए है।
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