रहिये अपडेट, रीवा. स्थानीय कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में आयोजित किए जा रहे रंग प्रयोग नाट्य समारोह के आखिरी दिन नाटक आदि विक्रमादित्य की प्रस्तुति दी गई। नाटक प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने दर्शकों को अंत बांधे रखा और कई बार तालियां बजाने के लिए मजबूर किया। दर्शकों ने इस नाट्य प्रस्तुति की सराहना की। इस अवसर पर कमिश्नर नगर पालिक निगम सौरभ संजय सोनवणे, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र, निर्देशक टीकम जोशी, परमजीत सिंह डंग, विभू सूरी, अंकित मिश्रा, विजय तिवारी, गौरव सिंह सहित सैकड़ों दर्शक मौजूद रहे।
नाटक के लेखक दिनेश नायर एवं निर्देशक जोशी की नाट्य प्रस्तुति के दौरान प्रतिभा झलकती है। नाटक वर्तमान समाजिक परिदृश्य में इतिहास को देखने का सिलसिला हर बार एक नई दृष्टि पैदा करता है। आदि विक्रमादित्य, यह सिंहासन बत्तीसी और बेताल पच्चीसी की कहानियों का संकलन है। नाटक आम तौर पर कहानी सुनाने वाली बत्तीस गुड़ियों में से चार के साथ की कथा है। कहानी राजा भोज द्वारा सिंहासन के प्रकटीकरण से शुरू होती है और कथा इसे राजा विक्रमादित्य और बेताल की रहस्यमयी दुनिया की ओर ले जाती है। अंत में सिंहासन को वापस जगह पर रख दिया जाता है। क्योंकि विक्रमादित्य की मृत्यु से जो शून्य पैदा हुआ था उसे कभी भी शक्तिशाली और योग्य राजा भोज द्वारा या अन्य शासकों द्वारा नहीं भरा जा सकता हैं। कलाकारों में शारोन मसीह, हिमाद्री व्यास, संजना, गीतिका देवदास, अभय आनंद बडोनी, गौतम सारास्वत, अरविंद सिलावटे, अहमद खान, प्रदीप तिवारी, रोहित खिलवानी, अभिषेक शाही, अर्पित ठाकुर, बिशाल बरुवा, जुधिष्ठिर सुनानी, अर्चना सिंह, कनिष्क द्विवेदी, महक नंदा, भूमि बाथरी आदि ने यादगार प्रस्तुति दी।

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