रहिये अपडेट, रीवा. शारदेय नवरात्र का दुर्गोत्सव ३ अक्टूबर से शुरू हो रहा है। जिसके लिए शहर में जगह-जगह भक्तों द्वारा पंडाल सजाए जा रहे हैं। वहीं शहर के खन्ना चौराहे पर मां भगवती का सबसे बड़ा दरबार सजाया गया है। उधर कलाकार दिनभर मां दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे रहे। वहीं रानी तालाब की मां कालिका के दरबार में मेले की तैयारी की गई। पुलिस एवं प्रशासन द्वारा साफ-सफाई, पानी और सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किया गया है। लोगों में दुर्गा उत्सव को लेकर भारी उत्साह है। अब नौ दिन तक बाजार में भी चहल-पहल रहने वाली है।
ज्योतिर्विद राजेश साहनी के अनुसार इस वर्ष अश्विन अथवा शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 3 अक्टूबर से आरम्भ होने जा रहे है। नवरात्रि में दुर्गा माता की नौ दिनों में नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम ने शारदीय नवरात्र की परंपरा की शुरुआत समुद्र के किनारे भगवती की नौ दिवसीय उपासना करते हुए प्रारंभ की थी। इस वर्ष शारदीय नवरात्रों का प्रारंभ गुरुवार के दिन से होने जा रहा है इसलिए देवी डोली या पालकी पर सवार होकर आएंगी। हालांकि शास्त्रों में देवी का पालकी पर आना बहुत शुभ नहीं माना गया है, लेकिन देवी का गमन इस वर्ष अत्यधिक शुभ माना जा रहा है।
घटस्थापना का महत्व
विधिपूर्वक एवं शुभ मुहूर्त में स्थापित कलश या घट को विघ्न विनाशक भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि कलश के मुख पर विष्णु वा कण्ठ में रूद्र का निवास होता है। कलश के मूल में ब्रह्मा तो मध्य में मातृ गण स्थापित रहते हैं। कलश के उदर में गंगाजल, फूल, गंध, सुपारी, अक्षत, पंचरत्न एवं सिक्के डाले। कलश मुख में आम के पांच पल्लव लगाने के साथ चुनरी या लाल वस्त्र में बांधकर नारियल को स्थापित करें। तत्पश्चात देवी का आवाहन करते हुए उनका षोडशोपचार पूजन किया जाना चाहिए।
घट स्थापना मुहूर्त
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को प्रात: 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 4 अक्टूबर को प्रात: 2 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। घट स्थापना के शास्त्रीय मुहूर्त इस प्रकार होंगे।
-प्रात: मुहूर्त सुबह 6.15 बजे से 7.22 बजे तक
-अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.46 बजे से दोपहर 12.33 बजे तक
-अपरान्ह के पश्चात घट स्थापना का कोई मुहूर्त नहीं है।
शारदीय नवरात्रि तिथि
-3 अक्टूबर प्रतिपदा, घटस्थापना, मां शैलपुत्री
-4 अक्टूबर द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी
-5 अक्टूबर तृतीया, मां चन्द्रघण्टा
-6 अक्टूबर तृतीया दो दिन
-7 अक्टूबर चतुर्थी, मां कुष्माण्डा
-8 अक्टूबर पंचमी, मां स्कंदमाता
-9 अक्टूबर षष्ठी, मां कात्यायनी
-10 अक्टूबर सप्तमी, मां कालरात्रि
-11 अक्टूबर अष्टमी-नवमी, मां महागौरी एवं सिद्धिदात्री पूजा
-12 अक्टूबर दशमी, विजयादशमी, दशहरा, दुर्गा विसर्जन
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