Ramayana Peeth will be established in APS University: अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में रामायण पीठ स्थापित करने की योजना तैयार की है। इस शोध पीठ में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के जितने भी ग्रंथ श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रचलित हैं उन सभी का संग्रहण होगा। जहां पर देश-विदेश के शोधार्थी रामायण और श्रीराम से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इस पीठ की स्थापना के पीछे प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि वनवास के दौरान श्रीराम ने चित्रकूट में लंबा समय गुजारा था। वनवासी राम की अवधारणा का प्रमुख केन्द्र भी विंध्य क्षेत्र को माना जाता है। इसलिए इस क्षेत्र के विश्वविद्यालय में रामायण शोध पीठ स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। आने वाले कुछ दिनों के बाद इस पर कार्य भी प्रारंभ किए जाने की तैयारी है। मध्यप्रदेश में रामायण पीठ अब तक भोजमुक्त विश्वविद्यालय में ही स्थापित है। जहां पर रामायण से जुड़े विभिन्न शोध किए जा रहे हैं। यहां पर रामचरित मानस को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने के लिए एक डिप्लोमा कोर्स भी संचालित है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामायण विश्वविद्यालय की स्थापना की तैयारी चल रही है। इसी तरह बिहार के वैशाली में भी प्रयास हो रहा है। अब रीवा का अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय देश के उन प्रमुख चुनिंदा शैक्षणिक संस्थानों में से एक होगा जहां पर रामायण से जुड़ी संपूर्ण जानकारी उपलब्ध रहेगी। विश्वविद्यालय ने कुछ सर्टिफिकेट कोर्स भी इससे जुड़े प्रारंभ करने की योजना बनाई है।
APS Rewa: वनवास के दौरान कई वर्ष विंध्य में श्रीराम ने गुजारे थे, APSU में अंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध केन्द्र स्थापित होगा
श्रीराम वन गमन पथ को भी जोड़ा जाएगा
श्रीराम वन गमन पथ को लेकर मध्यप्रदेश सरकार कॉरिडोर तैयार कर रही है। इसमें चित्रकूट, सतना, रीवा, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, कटनी, अनूपपुर, विदिशा, होशंगाबाद सहित कई जिलों को शामिल किया गया है। यह कॉरिडोर 1450 किलोमीटर दूरी का होगा। इन जिलों में कई तीर्थ स्थल विकसित किए जाएंगे। इसी कड़ी में अब रीवा के विश्वविद्यालय ने भी रामायण पीठ स्थापित करने की योजना बनाई है। श्रीराम वन गमन पथ की राज्य स्तरीय परामर्शदात्री समिति के सदस्य नलिन दुबे ने बताया कि रीवा के विश्वविद्यालय में रामायण पीठ इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसी क्षेत्र में श्रीराम वन पथ गमन मार्ग भी है। इस पीठ के जरिए जानकारी देश-दुनिया में जाएगी और विंध्य क्षेत्र आध्यात्मिक पर्यटन के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा।
अयोध्या के संस्थान से हो चुका है रीवा का एमओयू
अयोध्या के अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के साथ बीते साल ही अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का एमओयू हो चुका है। जिसके तहत अयोध्या के संस्थान की मदद से रीवा में शोध एवं संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। अब तक दो राष्ट्रीय संगोष्ठियां हो चुकी हैं जिसमें वनवासी राम और दंडकारण्य में श्रीराम विषय पर संगोष्ठी हुई है। एक बड़ी प्रदर्शनी भी रीवा में लगाई गई थी।
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