रीवा। शहर में अब प्रमुख स्थानों पर बड़े आकार के कलश रखे हुए नजर आएंगे। यह केवल दिखावे के लिए नहीं बल्कि स्वच्छता व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से रखे जा रहे हैं। नगर निगम ने स्वच्छता को लेकर नया प्रयोग किया है। जिसके तहत शहर के प्रमुख मंदिरों, चौराहों, जलस्त्रोतों और अन्य व्यस्ततम स्थानों पर यह कलश रखे जा रहे हैं। इन कलशों में पूजा सामग्री जो नदियों और तालाबों में बहाई जाती रही है उसका संकलन किया जाएगा। साथ ही मंदिरों के बाहर भी बड़ी मात्रा में श्रद्धालु पूजा सामग्री खुले में फेक देते हैं। अब उक्त कलश में डाले जाने की अपील की जा रही है। आस्था को अब स्वच्छता के साथ जोड़ा जा रहा है ताकि लोगों द्वारा पूजा-पाठ के समय फेकी जाने वाली सामग्री जो कचरा उत्पन्न करती है उसका भी सही तरीके से निपटान किया जा सकेगा। इन निर्माल्य कलशों की स्थापना के पीछे की वजह पूजन सामग्री, फूल-माला के जैविक कचरे को नदी में फेंकने के बजाय एक उचित स्थान पर एकत्र करना बताया गया है। निर्माल्य पात्र विशेष रूप से धार्मिक कार्यों के बाद फूल-माला आदि को एकत्र करने के लिए बनाए गए हैं, ताकि लोग पूजन सामग्री को सीधे नदी में न बहाएं, जल प्रदूषण रोका जा सके। ये पात्र शहर के प्रमुख घाटों और मंदिरों के पास लगाए गए हैं, जिससे श्रद्धालु आसानी से इनका उपयोग कर सकें। बताया गया है कि आगे भी अन्य स्थानों पर इन्हें रखने का कार्य जारी है।
गणेश उत्सव के दौरान लोग अपने घरों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करते हैं और उन्हें बीहर और बिछिया नदियों में प्रभावित करते हैं। कई श्रद्धालु ऐसे होते हैं जो छोटे आकार के गणेश स्थापित करते हैं लेकिन उसे प्रभावित करने के लिए उन्हें नदियों के निर्धारित घाट पर जाना पड़ता है। ऐसे में अपने नजदीकी स्थान पर स्थापित निर्माल्य कलश में लोग इन छोटी प्रतिमाओं को प्रभावित कर सकेंगे, जिससे नदियों के घाटों पर भीड़ नहीं जुटेगी।
खाद और गुलाल आदि बनाने में होगा उपयोग
आयुक्त नगर निगम रीवा सौरभ सोनवणे के मुताबिक श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए हमारी प्राथमिकता शहर की स्वच्छता और नदी घाटों को प्रदूषण मुक्त बनाना है। पूजन सामग्री को सीधे जल में न बहाकर निर्माल्य पात्रों में लोग डालें। इन फूल-मालाओं का उपयोग नगर निगम के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से खाद और गुलाल आदि बनाने के लिए भी किया जाएगा।
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