मऊगंज में बनेगा पतंजलि ग्रुप का एकीकृत प्रसंस्करण केन्द्र, शुरू हुई प्रक्रिया, किसानों और युवाओं की खुलेगी किस्मत

Friday, 4 April 2025

/ by BM Dwivedi

रीवा। लंबे समय के बाद एक और बड़ा व्यवसायिक ग्रुप निवेश करने जा रहा है। पतंजलि ग्रुप को मऊगंज के घुरेहटा में करीब चार सौ एकड़ भूमि आवंटित की गई है। यहां पर पतंजलि गु्रप ने एकीकृत प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित करने की योजना बनाई है। जिसमें खाद्य प्रसंस्करण के साथ ही आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा उत्पाद, स्किल डेवलपमेंट सेंटर सहित अन्य जरूरी संसाधन विकसित किए जाएंगे। बीते साल अक्टूबर महीने में रीवा में आयोजित रीजनल इंडस्ट्रियल कांक्लेव में पतंजलि ग्रुप के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने एक हजार करोड़ के निवेश की घोषणा की थी। उस दौरान फूड इंडस्ट्री पर उन्होंने निवेश के संकेत दिए थे लेकिन हाल ही में भोपाल में एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा है कि मऊगंज के घुरेहटा में मिलने जा रही भूमि पर वह केवल एक प्लांट नहीं बल्कि एकीकृत प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित करेंगे। जहां पर कई तरह की गतिविधियां संचालित की जाएंगी। बनारस-नागपुर रूट पर स्थित घुरेहटा में मिलने वाले १५७.९ हेक्टेयर भूखंड में पतंजलि ग्रुप अपना बड़ा सेंटर बनाने की तैयारी में है। यहां पर हरिद्वार फूड एंड हर्बल पार्क की तर्ज पर कई गतिविधियां एक साथ संचालित करने के लिए व्यवसायिक कैम्पस  स्थापित किया जाएगा। इस इंटेग्रेटेड प्रोसेसिंग यूनिट में बहुआयामी सुविधाएं बनाने पर जोर दिया जा रहा है। अप्रेल के आखिरी सप्ताह या फिर मई महीने के प्रथम सप्ताह में पतंजलि ग्रुप की टीम के मऊगंज आने की संभावना है। 

इधर एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने भूमि आवंटन की सूचना पतंजलि ग्रुप को भेजी है। इसके साथ ही 26 करोड़ रुपए की डिमांड भी भेजी गई है। यह शासन द्वारा निर्धारित दर के आधार पर है। उक्त राशि जमा करने के बाद कंपनी को कब्जा दे दिया जाएगा। माना जा रहा है कि जिस गति से कार्य चल रहा है, उससे मई महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। विंध्य क्षेत्र में बड़े निवेश के साथ ही पतंजलि ग्रुप के आचार्य बालकृष्ण कह चुके हैं कि यहां के किसानों द्वारा जो भी उत्पाद तैयार किया जाएगा उसे वह गारंटी के साथ खरीदेंगे। अब कहा जा रहा है कि गु्रप की ओर से नागपुर में संतरों की वजह से बड़ा प्लांट लगाया जा रहा है। इसके लिए विंध्य में भी संतरा और नीबू की खरीदी की जाएगी। साथ ही अन्य खाद्य प्रसंस्करणों के लिए भी कृषि उत्पादों की खरीदी होगी। 

उनकी टीम जल्द ही भ्रमण के लिए आएगी

यूके तिवारी, कार्यकारी निदेशक एमपीआईडीसी ने बताया कि, पतंजलि ग्रुप ने निवेश की इच्छा रीवा के कांक्लेव में ही जाहिर की थी। अब उसकी प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। ग्रुप से जोड़े लोग यहां पर एकीकृत प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित करना चाहते हैं। उनकी टीम जल्द ही भ्रमण के लिए आएगी और अपनी कार्ययोजना तैयार करेगी। 

इन कार्यों पर रहेगा फोकस

  • फूड प्रोसेसिंग और डेयरी उत्पादन: घुरेहटा का यह केन्द्र स्थानीय स्तर पर उत्पादित अनाज, फल, सब्जियों और डेयरी उत्पादों जिसमें दूध, घी और दही आदि के प्रसंस्करण पर काम करने की तैयारी में है। गेहूं और धान पर विशेष फोकस होगा।
  • आयुर्वेदिक उत्पाद: विंध्य क्षेत्र की समृद्ध जड़ी-बूटी संपदा का अपना अलग महत्व है। इनका उपयोग कर आयुर्वेदिक दवाइयां, हर्बल सप्लीमेंट्स और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद बनाए जाएंगे। औषधीय पौधों की खेती, संग्रहण आदि का कार्य भी होगा।
  • पर्यावरण अनुकूल तकनीक: पतंजलि का जोर पर्यावरण स्थिरता पर है, इसलिए यह केन्द्र सौर ऊर्जा, जल संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग कर सकता है।  
  • रोजगार सृजन: यह केन्द्र स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा करेगा। हरिद्वार मॉडल की तरह यहां भी हजारों लोगों को काम मिलने की संभावना है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ा जाएगा।
  • परंपराएं आधुनिकता से जोड़ना: यहां पर आधुनिक मशीनरी और तकनीक का उपयोग होगा, लेकिन उत्पादन प्रक्रिया आयुर्वेद और भारतीय परंपराओं पर आधारित होगी। जिसमें गो-उत्पादों (गाय के दूध, गोबर, गोमूत्र) का उपयोग स्वास्थ्य और कृषि उत्पादों में किया जा सकता है।
  • हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर: पतंजलि ग्रुप उज्जैन में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विकसित कर रहा है। उसी की तर्ज पर घुरेहटा में भी योग, आयुर्वेद चिकित्सा और पंचकर्म जैसी सुविधाएं मिलेंगी। 


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