सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हुई कार्रवाई
भष्टाचार की बुनियाद पर बना ट्विन टॉवर आखिरकार ढेर हो गया। नोएडा के सेक्टर 93 में सुपरटेक एमरॉल्ड सोसाइटी में बनाया गया ट्विन टावर अब मलबे की ढेर में तब्दील हो चुका है। बस एक बटन दबाते ही करीब ५०० करोड़ रुपए खर्च कर बनाया गया यह विशाल टावर अब धूल और मिट्टी में हो चुका है। ट्विन टावर के ढहने के साथ ही इसके निर्माण में खर्च किए गए 500 करोड़ रुपए भी बेकार हो चुके हैं। यह एक बहुत बड़ी रकम है। भारत में जहां एक बहुत बड़ी आबादी का गुजारा मुश्किल से होता है। वहां 500 करोड़ रुपए ऐसे ही बर्बाद होना आम बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के ट्विन टावर को ढहाए जाने वाले फैसलों को लेकर आम लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोगों इसे ढहाने के फैसले को गलत मान रहे हैं, तो कुछ लोग इसे एक नजीर मान रहे हैं।
कुछ लोगों ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन इस टॉवर को गिराने से बेहतर होता इसे सरकार को सौंप दिया जाता। ऐसा करने से जो पैसे इसे बनाने में खर्च हुए हैं, वो बर्बाद होने से बच जाते। सरकार इसमें बेघर लोगों का पुनर्वास कर सकती थी। या फिर इस टॉवर को अस्पताल में बदला जा सकता था। वहीं कुछ लोग इस इस कार्रवाई को उनके लिए सबक बताया है जो कानून को हल्के में लेते हैं।
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