कांग्रेस पार्षद ने निगम अध्यक्ष पर उठी उंगली
मध्य प्रदेश का रीवा नगर निगम राजनीति का अखाड़ा बन गया। जनता से किये गये वादे पूरे हो या न हो लेकिन जनता को मुद्दे से भटकाने के लिए राजनीति जरुर हो रही है।कांग्रेस नेता अजय मिश्रा बाबा जब महापौर चुने गये और नगर निगम में रखी महापौर की कुर्सी पर बैठे तभी से वाहन की राजनीति शुरु हो गई। जनता के प्रति समर्पण एवं ईमानदारी की बातें करते हुये निगम द्वारा उपलब्ध शासकीय वाहन में न चढऩे की घोषणा की थी। इतना ही चुनाव दौरान जनता से किये गये वादे भी पूरे किये जाने का वचन भी दिया था। चार माह तो गुजर गये न पानी फ्री हुई और न ही नगर निगम के कमर तोड़ टैक्स कम हुये। शहर के कई मोहल्लों की स्ट्रीट लाईटे अपनी आंख बंद किये हुये। चाहे वह कांग्रेस पार्षद का वार्ड हो या फिर भाजपा पार्षद का बार्ड हो। वार्डो की नालियां अपनी व्यथा दिखा रहीं है। यहां तक की शहर के मुख्य मार्गो में खुली नालियां मौत को दावत देती नजर आ रही है। लेकिन जनता की इस समस्या को न तो कोई देखने वाला है और न ही सुनने वाला। जो पार्षद भी चुने गये वो जनता को छोड़ नगर निगम से निजी लाभ ले रहे। बताया तो यह भी जाता है कि कुछ ऐसे भी पार्षद हैं जो प्लाटिंग का काम करते है।उनके द्वारा प्लाट को जोडऩे को लिए सड़क स्वीकृत कराई जा रही है। चार माह से नगर निगम में जो चल रहा है उसे देख वह कहावत याद आती है कि अंधेर नगरी चौपट राजा। भाजपा हो चाहे कांग्रेस सभी जनता की मूलभूत सुविधाओं को छोड़ जनता को ही गुमराह करने स्वांग रचते नजर आ रहे हैं। कुछ दिन पूर्व भाजपा पार्षदों ने मोहल्ले में गंदगी और नाली को लेकर जनता के बीच कांग्रेस के कारनामों को ढ़ोल पीटा। जैसे ही यह मामला शांत हुआ तो कांग्रेस के एमआईसी सदस्य ऋषिकेश त्रिपाठी उर्फ स्वतंत्र शर्मा वार्ड क्रमांक 26 के पार्षद ने भाजपा से चुने गये नगर निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय के वाहन को लेकर तूफान खड़ा कर दिया। महापौर के एमआईसी सदस्य ऋषिकेश त्रिपाठी ने निगम आयुक्त को पत्र लिख कर जबाव मांगा कि किस आधार पर निगम अध्यक्ष को नगर निगम द्वारा गाड़ी मुहईया कराई गई। जबकि महापौर नगर निगम की गाड़ी लेने से इंकार किये साथ ही कहा कि महापौर के वाहन के नाम पर किये जाने वाला खर्च जनता के हित में जायेगा। जनता के हित में गया कि नहीं गया यह तो शोध का विषय है। फिलहाल एमआईसी सदस्य स्वतंत्र शर्मा ने निगम अध्यक्ष के वाहन को लेकर छुरछुरी छोड़ दी।
एमआईसी सदस्य ने नियम का दिया हवाला
कांग्रेस पार्टी से वार्ड क्रमांंक 26 से चुने गये पार्षद एवं एमआईसी सदस्य स्वतंत्र शर्मा ने निगम आयुक्त को पत्र देने के साथ ही नगरीय शासन विभाग मंत्रालय द्वारा जारी 1997 के नियमों का हवाला भी दिया। जिसमें तत्कालीन अपर सचिव सुदेश कुमार ने आदेशित किया है कि नगर पालिका निगमों के अध्यक्ष, उप महापौर को तीन हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता स्वीकृत किया। साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया है कि नगर पालिका, निगमों द्वारा उन्हे वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया है एवं तदाशय का प्रमाण पत्र आयुक्तों, नगर निगम जारी करेंगे कि संबंधित को नगर निगम की ओर से कोई वाहन सुविधा प्रदान नहीं की गई। यदि निजी वाहन का उपयोग कर रहे हैं तो उसकी लिखित अध्यक्ष, उप महापौर को नगर निगम को देनी होगी। यदि इस पत्र को गहराई से पढ़ा जाये तो स्पष्ट होता है कि नगर निगम द्वारा वाहन न मिलने पर तीन हजार रुपये वाहन भत्ता स्वीकृत किया गया था वह भी 1997 में। इस संदर्भ में जब नगर निगम अध्यक्ष से चर्चा की गई तो उन्होंने ऐसा जबाव दिया जिसका उल्लेख करना शायद उचित नहीं होगा।
क्या कहते हैं नेता प्रतिपक्ष दीनानाथ
इस संदर्भ में जब नगर निगम के भाजपा से चुने गये नेता प्रतिपक्ष दीनानाथ वर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि परिषद में जनता के मुद्दो को लेकर जब चर्चा होती है तो इनके पास जबाव नहीं होता। टैक्स माफ, फ्री पानी, लाइट और सड़क सहित कई जनहित मुद्दों को पूरा करने का वादा कर महापौर की कुर्सी पर और अपनी एमआईसी भी गठित की। चार माह गुजर गये शहर में जनहित को लेकर कोई काम हुआ तो उसे जनता के सामने रखें। नगर निगम में एकल खिड़की फ्लाप हो गई। लोग जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटक रहे। जनता से किये गये एक भी वादे पर खरे नहीं उतर रहे। जनता का ध्यान भटकाने के लिए प्रपोगंडा कर रहे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस आदेश को कांग्रेस पार्षद स्वतंत्र शर्मा दिखा रहे वह आदेश 1997 में पारित हुआ था। एमआईसी सदस्य यदि उक्त आदेश को ध्यान से पढ़ते तो शायद समझ में आ जाता। उसमें इस बात का उल्लेख है कि नगर निगम से जिनको वाहन नहीं मिला उनको वाहन भत्ता 3 हजार रुपये स्वीकृत किया जाता है। एमआईसी सदस्य ऋषिकेश त्रिपाठी को समझना चाहिये कि जब रीवा नगर निगम से अध्यक्ष के लिए वाहन उपलब्ध है तो वाहन भत्ता का सवाल ही नहीं उठता। नगर निगम रीवा में पूर्व अध्यक्ष यदुनाथ तिवारी, रिपुदमन सिंह एवं सतीश सोनी को निगम प्रशासन द्वारा सुविधा उपलब्ध थी। यह तो जनता से किये गये वादे पूरा न किये जाने पर जनता को भ्रमित करने की साजिश है।
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