रीवा। निजी विद्यालयों में लगाये गये वाहनों एवं आटो की सघन चेकिंग करने के लिए पुलिस विभाग सड़कों पर उतर आया। प्रेसनोट जारी कर बताया कि चेंकिग के दौरान तीन ओवर लोड मैजिक और आटो पकड़े गये। जिनमें तादात से ज्यादा स्कूली छात्र बैठे मिले। इतना ही नहीं यह भी बताते हुये अपनी पीठ थपथपाई कि 12 स्कूली वाहनों को भी चेक किया गया। जिनमें न तो सीसीटीवी कैमरे लगे थे और फस्र्टएड बाक्स में एक्सपायरी दवाईयां मिलने पर कार्रवाई की गई। प्रेस नोट करते हुये यह बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर सतत चलने वाले चेकिंग अभियान के तहत यह कार्रवाही की गई। दुख तो इस बात का है कि पुलिस ने यह कार्रवाही तब की जब दो मासूम छात्रों की जान सड़क हादसे में चली गई। पुलिस की आज की इस कार्रवाही में पुलिस को ही सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया। जिसका जबाव शायद पुलिस अधिकारियों के पास तो नहीं है लेकिन जनता इन सवालों का जबाब बखूबी दे सकती है।
पटियारी सड़क हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया?
जिस तरह से पुलिस ने प्रेसनोट जारी करते हुये कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर स्कूल वाहनों एंव आटो का निरीक्षण किया गया और उन पर कार्रवाही की गई। सवाल यह उठता है कि पनवार थाना अंर्तगत पटियारी गांव में हुये सड़क हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया। तब पुलिस स्कूली वाहनों की चेकिंग करने सड़क पर उतरी? जून माह से प्राईवेट स्कूल संचालित हो जाते है। जून से लेकर दिसंबर माह तक पुलिस स्कूलों वाहनों की चेकिंग क्यों नहीं की? जबकि पुलिस के सामने ही आटो या स्कल वाहन सारे नियमों को ताक में रख कर छात्रों को स्कूलों तक लाते ले जाते है तब पुलिस इन पर कार्रवाही क्यों नहीं की?
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वाहन चेकिंग के नाम पर आमजनमानस हो रहा परेशान
दिनभर पुलिस कहां रहती है यह तो शोध का विषय है। लेकिन दिन में वाहन चोर गिरोह जरुर सक्रिय रहता है। ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता होगा जिस दिन जिले में वाहन चोरी की घटना न हो। शाम होते ही पुलिस शहर के चौराहों और ग्रामीण अंचल की पुलिस थाना के सामने टोली बना कर खड़ी हो जाती है। और आम नागरिकों को रोक कर उन पर चालानी कार्रवाही कर शासन के लिए राजस्व वसूली का काम करती है। कुछ तो शासन के खाते में जाता है तो कुछ वर्दी के खाते में जाता है। वाहन चेकिंग के नाम पर पुलिस केवल आम नागरिकों का शोषण करती नजर आती है। वहीं दूसरी ओर लोग हादसे का शिकार होकर मृत्यु शैय्या पर लेट रहे। बिना परमिट के वाहन, अप्रशुक्ष वाहन चालक, ओवर लोड, तेज रफ्तार वाहन, हाइवे में सड़क किनारे खड़े वाहन हादसों की मुख्य वजह है। जिनको देखकर भी पुलिस को सुप्रीम कोर्ट का आदेश याद नहीं आता है।
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