भ्रष्टाचारियों का गढ़ बना है एसडीएम कार्यालय मऊगंज, अनुविभागीय अधिकारी की परत दर परत खुल रही पोल

Thursday, 19 January 2023

/ by BM Dwivedi

मध्यप्रदेश के रीवा जिले के एसडीएम कार्यालय मऊगंज के बीते तीन-चार के कार्यकाल का आंकलन किया जाये तो अनायास ही अंधेर नगरी चौपट राजा जैसे कहावत जुबां पर आ ही जाता है। एक ओर अपर कमिश्नर छोटे सिंह एक नहीं दो तीन प्रकरणों के निराकरण में अनुविभागीय अधिकारी अयोध्या प्रसाद द्विवेदी पर अनुशासत्मक कार्रवाई किये जाने के लिए संभागायुक्त को पत्राचार कर चुके है। आश्चर्य की बात है कि अपर कमिश्नर के पत्र को संभागीय कमिश्नर अपने संज्ञान में नहीं ले रहे, आखिर ऐसी क्या वजह है? हाल ही में 5 जनवरी 23 में किये गये दो अलग-अलग प्रकरणों पर अपर कमिश्नर छोटे सिंह ने स्पष्ट लिखा है कि अनुविभागीय अधिकारी अयोध्या प्रसाद द्विवेदी को विधि का ज्ञान नहीं है, उन पर कमिश्नर द्वारा अनुशासत्मक कार्रवाई की जाये। अपर कमिश्नर के इस फरमान पर धूल जमीं भी न थी कि एक और मामला निकल कर सामने आ गया। जिसमें अपर कमिश्नर छोटे सिंह ने विभा सिंह बनाम वीरेंद्र तहसील नईगढ़ी के प्रकरण क्रमांक 0255/अपील/21-22 में 4 जून 22 को अपने आदेश में लिखा था कि एसडीएम द्वारा जानबूझ कर आदेश पारित किया गया। उक्त जानकारी मऊगंज में वकालत कर रहे अधिवक्ता अनिल तिवारी ने दी। बताया कि एसडीएम मऊगंज द्वारा भू राजस्व संहिता की एक ही धारा में दो अलग-अलग तरह के आदेश करने में माहिर हैं। जिसका उदाहरण 280/अ-6(अ) 2020-21 आवेदक कृष्णनारायण बनाम मप्र शासन एवं 0270/अ6अ/2020-21 आवेदक रामरती सोंधिया बनाम मप्र शासन में एसडीएम द्वारा दिये गये निर्णय में आसानी से देखा जा सकता है। अधिवक्ता अनिल तिवारी का आरोप है कि जिस किसान या पक्षकार द्वारा चढ़ोतरी चढ़ा दी गई उसके लिये एसडीएम द्वारा सारे नियमों एवं कानूनों को शिथिल करते हुये आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है। और जिसने नहीं चढ़ाई उसके आवेदन निरस्त कर दिये जाते हैं। अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि एसडीएम कार्यालय द्वारा पारित निर्णयों की जांच की जाये तो निश्चित रूप से एसडीएम दोषी पाये जायेंगे।

इसे भी देखें: घूस लेने में गरीब पर भी नहीं आया रहम, तहसील का बाबू लोकायुक्त के शिंकजे में फंसा 

सेनि. नागेश्वर बाबू को एसडीएम कार्यालय से मोह

अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि एसडीएम कार्यालय में पदस्थ रीडर नागेश्वर एक वर्ष पूर्व सेवा निवृत हो चुके हैं। लेकिन उनका दखल आज भी एसडीएम कार्यालय में रहता है। एसडीएम कार्यालय मऊगंज में रीडर की कुर्सी पर बैठ कर पक्षकारों का जमकर खून चूसा जो आज भी उनके मुंह लगा हुआ है। अधिवक्ता श्री तिवारी ने बताया कि एसडीएम द्वारा प्रकरणों में लिये गये निर्णयों को सेनि. बाबू नागेश्वर ही अपने शब्दों में लिखते हैं।

इसे भी देखें: Rewa News: दोस्त की बारात में नाचते हुये युवक को पड़ा दिल का दौरा और हो गई मौत, जानिए पूरी घटना

लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद भी नहीं खौफ

गौरतलब है कि एसडीएम कार्यालय मऊगंज में पदस्थ बाबू केशरी प्रसाद साकेत को लोकायुक्त ने कार्यालय के अंदर ही एक हजार रूपये की घंूस लेते हुये पकड़ा था। मजे की बात तो यह थी कि घंूसखोर केशरी प्रसाद साकेत मूलत: जल संसाधन विभाग में सहायक मानचित्रकार के पद पर है। परंतु प्रतिनियुक्ति पर वह अपनी सेवायें एसडीएम कार्यालय मऊगंज में दे रहा था। जो नईगढ़ी तहसील क्षेत्र के ग्राम मदना निवासी रामचरित केवट की नहर में फंसी भूमि पर मुआवजा दिलाये जाने के लिए घूंस लेते हुये लोकायुक्त के हाथों पकड़ा गया था। आश्चर्य की बात यह है कि जिस लोकायुक्त का नाम सुनकर अच्छे-अच्छे घूंसखोरों की रूह कांप जाती है उस लोकायुक्त के कदम मऊगंज एसडीएम कार्यालय मेें पड़ चुके है। उसके वावजूद भी एसडीएम कार्यालय में लोकायुक्त का खौफ नहीं रहा। जो जैसा पा रहा पक्षकारों का खून चूसने में लगा हुआ है।

No comments

Post a Comment

Don't Miss
©|Rahiye Update| All Rights Reserved