मध्यप्रदेश के रीवा जिले के सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में दर्जनो गांव में अल्ट्राटेक कंपनी के आगोश में है। जगह-जगह खदानें लगी हुई है जिनकी गहराई तीन सौ से चार फिट पहुंच गई। खदान से जो भी पानी निकला है अल्ट्राटेक प्रबंधन द्वारा बड़ी-बड़ी मोटरों के जरिये कररिया नदी में बहा दिया जाता है। जिसकी वजह से दर्जनों गांव का वाटर लेबल धरातल में चला गया। हालात यह है कि ठंड के मौसम में भी गांवो में लगे हैंडपंप गर्म हवा फूंकते है। हाल ही में जनप्रतिनिधियों ने एडीएम नीलमणि अग्रिहोत्री से मिलकर पानी की समस्या से अवगत कराया था। जिसे सुन कर एडीएम ने अल्ट्राटेक कंपनी को गांव वासियों के लिए पानी मुहईया करवाने सहित खदानों के पानी को स्थानीय तालाबों में भरे जाने का निर्देश दिया था। लेकिन अल्ट्राटेक कंपनी के प्रबंधक अपनी हठधर्मिता के आगे एडीएम के फरमान को नजर अंदाज कर दिया। जिसकी वजह से आज कई ग्राम पंचायत की जनता पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है। ग्राम पंचायत बैजनाथ के सरपंच संतोष मिश्रा ने जिला प्रशासन से मांग की है कि ग्राम पंचायत बैजनाथ, महिदल, मद्धेपुर, छिजवार, कोठार, तिघरा, जोन्ही सहित अल्ट्राटेक कंपनी की चपेट में आने वाले अन्य ग्राम पंचायतों को पानी की समस्या का शीघ्र निदान करें।
सांसद निधि के टैंकर में अल्ट्राटेक का लगा टैग
मजे की बात तो यह है एडीएम ने अल्ट्राटेक कंपनी के प्रबंधक को ग्राम पंचायत की आबादी के अनुसार टैंकर की व्यवस्था कर पानी उपलब्ध कराये जाने का निर्देश दिया था। साथ ही खदानों में भरे हुये पानी को ग्राम पंचायतों में बने तालाब में भरने के लिए कहा था। तालाब में पानी भरना तो दूर अल्ट्राटेक कंपनी के प्रबंधक ने सांसद एवं विधायक निधि से ग्राम पंचायतों को दिये गये पानी के टैंकरो पर अपना अधिपत्य कायम कर लिया। बकायदा सांसद निधि के टैंकरों पर अपने कंपनी को टैग लगा लिया।
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