वीरेंद्र सिंह सेंगर बबली
रीवा में नगरीय चुनाव को विधानसभा चुनाव से देखा जाता है। जिसकी शहर सरकार बनेगी वही विधानसभा का सदस्य होता है। बीते 24 साल से ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है कि नगर निगम में भाजपा का दबदबा रहा और रीवा के विधानसभा क्षेत्र में 2023 से भाजपा के विधायक के रूप में राजेंद्र शुक्ला चुने जा रहे है। परंतु हाल ही में हुये नगरीय चुनाव में जो परिणाम निकल कर सामने आया है उससे भाजपा के बीच भूचाल ला दिया। महापौर की कुर्सी कांग्रेस के हाथ चली गई। इतना ही नहीं भाजपाईयों को अध्यक्ष पद के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े ये बात किसी से छुपी नहीं है। महापौर की कुर्सी छीनने के बाद कांग्रेसियो में ऊर्जा का संचार हुआ और विधानसभा की कुर्सी हथियाने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी।
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रीवा विधायक के माथे पर चिंता की लकीरें
रीवा विधायक के माथे पर चिंता की लकीरें
रीवा विधानसभा से लगातार विधायक बनने वाले राजेद्र शुक्ला के भी माथे पर चिंता की लकीरें जरुर उभरी होगी। हाल ही में सोशल मीडिया में जो तस्वीर वायरल हुई वो राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बन गई। कोई इस बात को लेकर चर्चा कर रहा है कि रीवा विधायक आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने भविष्य को लेकर चर्चा कर रहे है तो कोई यह कह रहा है कि रीवा विधानसभा से कांग्रेस की टिकट को लेकर गुप्तगू हो रही है। चर्चा तो यहां तक है कि भाजपा में कई विधायकों के टिकट कर रहे है जिनमें से रीवा विधायक का भी नाम शामिल है। और रीवा विधायक कांग्रेस के साथ मिलकर इस अपने राजनैतिक भविष्य को बचाने के लिए गुप्तगू कर रहे है। राजनीति के गलियारों में फिलहाल जो भी चर्चा हो परंतु वायरल तस्वीर को देख इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जनता के बीच मंच में एक-दूसरे की टांग खींचने वाले, बेबुनियाद आरोप लगाकर जनता को बहकाने वाले नेता एक ही थाली के चट्टे-बट्टे होते है। जिनके वैचारिक मतभेद कुछ भी हो पर निजी संबंधो में एक-दूसरे के हितैषी भी है।
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