नये संसद भवन में स्थापित पवित्र ‘सेंगोल’ कहां था अब तक, क्या है इसका महत्त्व एवं इतिहास जानिए सबकुछ

Monday, 29 May 2023

/ by BM Dwivedi

 


नए संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने भारत के राजदंड 'सेंगोल' (Sengol) की स्थापना किया है। तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों द्वारा इसकी स्थापना कराई गई। दरअसल, 'सेंगोल' सिर्फ सत्ता का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि, राजा यानि सत्ताधीश के लिए सदैव इंसाफ करने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक मन जाता है। बतादें कि यह राजदंड 'सेंगोल' जिसे पीएम मोदी ने नए संसद भवन में स्थापित किया है वह राजदंड 'सेंगोल' अब तक इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था। 

Also Readराष्ट्रीय रामायण महोत्सव में शरबत-ए-मोहब्बत से मुस्लिम समाज करेगा स्वागत, देश-विदेश की मंडलियां देंगी प्रस्तुती
आजादी से जुड़ा सेंगोल का महत्त्व 

'राजदंड' यानी सेंगोल भारत की आजादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। अंग्रेजों डी`द्वारा जब भारत की आजादी की घोषणा की थी तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल उपयोग किया गया था। 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता के हस्तांतरण लेकर जवाहर लाल नेहरू से पूछा कि आखिर इसका हस्तांतरण कैसे किया जाए। इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से इस बारे में चर्चा की, उन्होंने ही भारतीय परंपरा के अनुसार सेंगोल के बारे में नेहरू को बताया। जिसके बाद सेंगोल का निर्माण तमिलनाडु से कराया गया और यह 'राजदंड' सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 

सेंगोल का इतिहास (History of Sengol)

सेंगोल का इतिहास (History of Sengol) सदियों पुराना है। इसका संबंध चोल साम्राज्य से भी जुड़ा है।  इतिहासकारों (historians) के मुताबिक चोल साम्राज्य में सेंगोल का उपयोग सत्ता के हस्तांतरण में किया जाता था। उस दौर में जब भी सत्ता का हस्तांतरण होता था, तो एक राज दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण के लिए सेंगोल सौंपते थे। रामायण-महाभारत में भी 'सेंगोल' का जिक्र मिलता है। जिसे एक राजा से दूसरे राजा को सौंपाते थे। 'सेंगोल' में सबसे ऊपर नंदी की प्रतिमा स्थापित है। हिंदू व शैव परंपरा में नंदी समर्पण का प्रतीक है। आज भी दक्षिण भारत के राज्यों में इसको विशेष महत्व दिया जाता है। 

क्या है सेंगोल ?

तमिल में इसे सेंगोल कहते हैं, जबकि हिन्दी में इसको ‘राजदंड’ पुकारा जाता है। इसका अर्थ संपदा व संपन्न के साथ ही ऐतिहासिक है। सेंगोल संस्कृत शब्द 'संकु' से लिया गया है, जिसका अर्थ शंख है। शंख को सनातन धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। मंदिरों और घरों में पूजा - आरती के दौरान शंख का उपयोग होता है।

No comments

Post a Comment

Don't Miss
©|Rahiye Update| All Rights Reserved