मध्यप्रदेश के सीहोर में आदिवासी दंपती ने घर के बर्तन बेचकर पांच दिन के बच्चे का इलाज करवाया। फिर भी उसे बचा नहीं पाए, बच्चे की मौत के बाद उनके पास शव को घर ले जाने के भी पैसे नहीं थे। मजबूरन भोपाल के हमीदिया अस्पताल की मर्च्युरी में ही शव को छोड़ दिया। एक सामाजिक संस्था को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने देवगांव से लालू और निर्मला बाई को भोपाल बुलवाया और यहीं बेटे का अंतिम संस्कार करवाया।
जानकारी के मुताबिक, निर्मला ने 16 जुलाई को बेटे को जन्म दिया था। बच्चा जन्म से ही बीमार था। उसे बुदनी के शासकीय अस्पताल से भोपाल रेफर किया गया। परिवार के पास बच्चे के इलाज के लिए भोपाल ले जाने लायक भी पैसे नहीं थे। मजबूरी में जैसे-तैसे पैसों का इंतजाम किया। भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया। लेकिन यहां 22 जुलाई की शाम बच्चे की मौत हो गई। दंपती के पास शव को गांव तक लाने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने अस्पताल में एक-दो लोगों से वाहन की व्यवस्था करने की गुहार लगाई, लेकिन वहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं मिला।
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