शिमला. हिमाचल प्रदेश में बारिश कहर बरपा रही है। रविवार रात से अलग-अलग घटनाओं में 51 लोगों की मौत हो गई। अकेले शिमला में बारिश और भूस्खलन की वजह से 14 लोगों की जान चली गई। वहीँ, उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश से बाढ़ के हालात बन गए। जिसके चलते चारधाम यात्रा भी रोक दी गई। जानकारी के मुताबिक शिमला के समर हिल इलाके में शिव मंदिर ढहने से नौ लोग दब गए, जबकि फगली इलाके से पांच शव निकाले गए, जहां कई लोग मिट्टी और कीचड़ के नीचे दबे हुए थे। मलबे में 40 लोगों के दबे होने की आशंका है। वहीँ सोलन जिले के जादोन गांव में बादल फटने से 7 लोगों की मौत हो गई। इस त्रासदी को देखते हुए राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने स्वतंत्रता दिवस पर राजभवन में होने वाला एट होम कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।अब सिर्फ ध्वजारोहण होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने समर हिल क्षेत्र और शिमला के फागली क्षेत्र में आपदा स्थल का दौरा कर जायजा लिया। बतादें कि सोमवार से पिछले 24 घंटों में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में सबसे ज्यादा 27 सेमी वर्षा हुई। वहीं प्रदेश में प्रमुख शिमला-चंडीगढ़ मार्ग सहित कुल 752 सड़कों पर यातायात अवरुद्ध हैं।
मंगलवार के लिए यलो अलर्ट जारी
बतादें कि आइएमडी ने सोमवार को कुल्लू, किन्नौर और लाहौल और स्पीति को छोड़कर राज्य के 12 में से नौ जिलों में अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की थी, वहीं मंगलवार के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। आइएमडी ने चेतावनी दी है कि हिमाचल और उत्तराखंड दोनों में 18 अगस्त तक तीव्र वर्षा जारी रहने की संभावना है।
उत्तराखंड में रेड अलर्ट जारी
वहीं मौसम विभाग ने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया। पुलिस व एसडीआरएफ टीम अलर्ट मोड पर है। लगातार हो रही बारिश के बाद बाढ़ के हालत हैं। सोमवार सुबह देहरादून में एक कॉलेज की इमारत ढह गई। इसके अलावा, मंदाकिनी नदी की तेज धाराओं से सड़क कटाव के कारण चमोली में बांसबाड़ा गांव के पास रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग ठप हो गया। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ऋषिकेश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और गंगा नदी के बढ़ते जल स्तर का हवाई सर्वेक्षण किया। ऋषिकेश में 24 घंटे में 42 सेमी बारिश हुई।
बारिश से उफानाई नदियां
लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री मंदिरों के राष्ट्रीय राजमार्गों पर भूस्खलन हुआ है। रुद्रप्रयाग, श्रीनगर और देवप्रयाग में अलकनंदा, मंदाकिनी और गंगा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
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