उज्जैन. काल गणना का केंद्र रही महाकाल की नगरी उज्जैन आने वाले समय में वैदिक आधार पर देश-दुनिया को समय बताएगी। जीवाजी वेधशाला में निर्माणाधीन देश की पहली वैदिक घड़ी लगाई जा रही है। जिसका कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसके लिए 60 फीट ऊंचा सात मंजिला टावर सितंबर के अंत तक तैयार हो जाएगा। इसी टावर पर घड़ी लगाई जाएगी। हालांकि घड़ी कब तक लगेगीं, फिलहाल निश्चित नहीं नहीं है।
यह विश्व की पहली वैदिक घड़ी होगी
जानकारी के मुताबिक करीब 300 वर्ष पुरानी जीवाजी वेधशाला उज्जैन (Jiwaji Observatory Ujjain) में 1.62 करोड़ की लागत से वैदिक घड़ी स्थापित की जाएंगी। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ (Maharaja Vikramaditya Research Institute) के निदेशक श्रीराम तिवारी के अनुसार वैदिक घड़ी (Vedic clock) का निर्माण लखनऊ में विशेषज्ञ द्वारा कराया जा रहा है। वहीं राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव (Higher Education Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि काल गणना को लेकर दुनिया में जो मान्यता उज्जैन की थी, उसे पुन: प्रतिष्ठित करने की दिशा में वैदिक घड़ी निर्माण कराया जा रहा है। यह विश्व की पहली वैदिक घड़ी होगी, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को भारतीय (वैदिक) समय गणना से परिचित कराना है। वैदिक घड़ी को सूर्य की स्थिति और दुनियाभर में विभिन्न स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के साथ समन्वयित किया जाएगा। वैदिक घड़ी की रीडिंग के लिए एक मोबाइल ऐप बनाने की भी योजना है।
क्या है वैदिक घड़ी
जानकारी के मुताबिक वैदिक घड़ी (Vedic clock) में समय के साथ लग्न, ग्रहण, मुहूर्त और पर्व की जानकारी हासिल की जा सकती है। मौजूदा ग्रीनविच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में विभाजित किया गया है। समय को पल और घटी में बांटा गया है। वैदिक घड़ी (Vedic clock) में मौजूदा ग्रीनविच पद्धति की घंटे, मिनट, सेकंड वाली घड़ी भी रहेगी।
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