रहिये अपडेट, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने वैवाहिक बलात्कार के मामले में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। कोर्ट ने कहा कि 2013 में आइपीसी की धारा 375 (बलात्कार) की परिभाषा में किए गए संशोधन के बाद पति और पत्नी के बीच आइपीसी की धारा 377 के अनुसार किसी अप्राकृतिक अपराध की संभावना नहीं रह जाती। पति-पत्नी के रिश्तों में कुछ भी अप्राकृतिक नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने कांग्रेस के एक विधायक की पत्नी द्वारा आइपीसी की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध करने का आरोप लगाते हुए दर्ज कराई गई एफआइआर को रद्द किया है।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा पति-पत्नी के रिश्ते में सहमति महत्वहीन है, तो जहां पति और पत्नी यौन कृत्यों में शामिल हों, वहां आइपीसी की धारा 377 के तहत अपराध की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है। एकल पीठ ने यह भी कहा कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंधों को लेकर कहा कि पति और पत्नी का रिश्ता केवल संतान उत्पत्ति के उद्देश्य से यौन संबंधों तक ही सीमित नहीं रह सकता है।
जानिए पूरा मामला
दरअसल मध्यप्रदेश के कांग्रेस के एक विधायक के खिलाफ उनकी पत्नी ने 2022 में नौगांव थाने में यौन हिंसा, धमकी, अप्राकृतिक कृत्य किए जाने की एफआइआर कराई थी। कोर्ट ने पाया कि एफआइआर में कोई तिथि और स्थान नहीं बताया गया। घरेलू हिंसा की बजाय यौन हमले का प्रकरण दर्ज कराया। जबकि पति के मामले में घरेलू हिंसा की शिकायत की जानी चाहिए थी।
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