रहिये अपडेट, रीवा। करोड़ों रुपये खर्च कर विकसित किये गये जिले के पिकनिक स्पाटों में फिर अव्यवस्था बढ़ती जा रही है। वन विभाग की देखरेख में विकसित किए गए सिरमौर क्षेत्र के पिकनिक स्पाटों में बीते कुछ से समय से पर्यटकों की एंट्री भी कुछ जगह रोकी गई है। जहां पर आवागमन जारी है, वहां भी अव्यवस्था है। क्षेत्र के लोगों ने ईको पर्यटन स्थल घिनौचीधाम का टूटा हुआ बोर्ड एवं अन्य अव्यवस्थाओं से जुड़े फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इनकी देखरेख की मांग उठाई। मामला संज्ञान में आते ही डीएफओ अनुपम शर्मा ने फोटो के सत्यापन के लिए सिरमौर के घिनौचीधाम भेजा। जहां पर पाया गया कि बोर्ड टूटा था। बाद में डीएफओ ने यह स्पष्ट किया कि उक्त बोर्ड को सही कराया गया है और अन्य व्यवस्थाओं की नियमित निगरानी के लिए क्षेत्रीय कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है। बता दें कि सिरमौर क्षेत्र में तीन पिकनिक स्पॉटों को कुछ साल पहले ही विकसित किया गया था। शासन ने सितंबर 2017 में अधिसूचना जारी करते हुए रीवा जिले के सिरमौर वन क्षेत्र में स्थित पावन घिनौची धाम (पियावन), आल्हा घाट एवं टोंस वाटरफाल स्थलों को इको पर्यटन केंद्र घोषित किया था। इसके साथ ही बोर्ड ने इन स्थानों के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की और उसके लिए करीब एक करोड़ रुपए भी आवंटित किए।
सिरमौर क्षेत्र में तीन स्थल किए गए हैं विकसित
घिनौची धाम: यहां पर धरती से करीब 200 फीट नीचे दो जल प्रपातों का संगम देखने को मिलता है। प्राचीन शिवलिंग है जहां पर जलप्रपात से स्नान होता है। यहां 35.50 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। रखरखाव के इंतजाम नहीं, सुरक्षा गार्ड दिन में दो रहते हैं।
टोंस वाटर फाल: यहां पर जलप्रपातों की शृंखला है, इसे 36.50 लाख रुपए की लागत से विकसित किया गया। 20 अक्टूबर 2020 से अब तक बंद है। बड़ी संख्या में लोग आते हैं प्रवेश नहीं मिलने पर वापस लौट रहे हैं। कुछ चोरी-छिपे प्रवेश ले रहे हैं।
आल्हाघाट: यहां पर लोकदेव आल्हा की तपोस्थली रही है। पुरातत्वविद अलेक्जेंटर कनिंघम ने इस स्थान को प्रकाश में लाया था। वर्ष 1883 में शिलालेख देखकर इसे प्रकाशित कराया था। तीन शिलालेख हैं, महाराजा नर्सिंगदेव का संवत 1216 ईसवी का उल्लेख है। गणेश और आल्हा की प्रतिमा आकर्षक रूप से उकेरी गई हैं। यहां डेढ़ सौ फीट लंबी गुफा है। 28.50 लाख की लागत से विकसित किया गया है। यह खुला है, लोग पहुंच रहे हैं।
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