रहिये अपडेट, रीवा। कई वर्षों तक भारतीय नौ सेना में शामिल रहे लड़ाकू विमान सी-हैरियर को रीवा लाया गया है। इसे अब सैनिक स्कूल परिसर में सुरक्षित रखा जाएगा। इस विमान को रीवा लाए जाने की प्रमुख वजह इसमें सफेद बाघ का लोगो लगा है। अब यह रीवा में ही गौरव बढ़ाएगा। वर्ष 1983 से 2016 तक यह विमान भारतीय नौ सेना का हिस्सा रहा है। यह विमानवाहक युद्धपोत विराट से समुद्री सीमा की रक्षा करने के लिए लगाया गया था। युद्धपोत विराट का नामकरण रीवा से पहले सफेद बाघ मोहन के आखिरी संतान विराट के नाम पर रखा गया था। वर्ष 1975 में महाराजा मार्तंड सिंह ने विराट को भारतीय नौ सेना को सौंपा था। विराट की मौत के बाद उसकी ट्राफी नौसेना के मुख्यालय में रखी गई। सी-हैरियर विमान फाकलैंड युद्ध और बाल्कन संघर्ष के दौरान सेवाएं दे चुका है।
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सबसे बड़ी खासियत वर्टिकल लैंडिंग
भारतीय नौसेना ने ये लड़ाकू विमान 1983 में ब्रिटेन से खरीदे थे। नौसेना में आने के बाद ये पहले विमान वाहक पोत विक्रांत और उसके बाद विराट में तैनात हो गए। विमानवाहक पोत से ही ये भारत की लंबी समुद्री सरहद की हिफाजत करते रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी खाशियत वर्टिकल लैंडिंग करने की रही है। कम रनवे पर ये आसानी से टेक ऑफ भी कर लेता रहा है यानी इसे उतारने के लिए किसी हवाई पट्टी की जरूरत नहीं पड़ती थी। इसमें आसमान में ही ईंधन भरने की क्षमता भी रही है। ब्रिटेन में तो 2006 में ही ये विमान रिटायर हो गए थे लेकिन भारत में अपग्रेड करके इसे उड़ाया जाता रहा लेकिन वर्ष 2016 में छह मार्च को आखिरी उड़ान भरने के बाद इसे सेवा से मुक्त कर दिया गया। वर्तमान में सी-हैरियर की जगह मिग-29 की सेवाएं ली जा रही हैं।
पूर्व मंत्री ने रीवा लाए जाने की उठाई थी मांग
कुछ समय पहले ही सी-हैरियर को देखने के लिए पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह भारतीय नौ सेना के एडमिरल वेस्टर्न कमांड देवेन्द्र त्रिपाठी के बुलावे पर गोवा गए थे। नौ सेना के स्क्वाड्रन वाइट टाइगर में शामिल रहे सी-हैरियर के बारे में बताया गया कि इसमें सफेद बाघ का जो लोगो लगा हुआ है वह रीवा से गए सफेद बाघ के स्मृति चिन्ह के रूप में है। इस पर पूर्व मंत्री ने उक्त विमान को रीवा के सैनिक स्कूल में स्थापित कराने की मांग उठाई थी। बुधवार को रीवा पहुंचे विमान को देखने पहुंचे सिंह ने बताया कि सेना के अधिकांश युद्धपोत और विमान किसी ने किसी पशु-पक्षी के नाम पर हैं। इसी में सफेद बाघ का लोगो भी लगाया गया था। रीवा सहित पूरे प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है।
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