रहिये अपडेट, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने घाटी के एक व्यक्ति को पांच साल बाद अपने मकान की खिड़कियां खोलने की अनुमति दे दी है। एक सिविल कोर्ट ने निजता के मामले में उसके पड़ोसी की आपत्ति को लेकर 2018 में खिड़कियां खोलने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सिविल कोर्ट का आदेश यह साबित करने में विफल रहा कि पड़ोसी के किस अधिकार का उल्लंघन हो रहा था। कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता गुलाम नबी को घर की खिड़कियां खोलने का अधिकार है, भले वे दूसरे पक्ष के घर की ओर खुलती हों। पड़ोसी अपनी खिड़कियों पर पर्दे लगाकर निजता की रक्षा कर सकता है। कोर्ट ने खिड़कियां खोलने के खिलाफ निर्देश को याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए याचिका मंजूर कर ली।
निजता का उल्लंघन
बडगाम के अब्दुल गनी शेख ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पड़ोसी गुलाम नबी के घर की खिड़कियां खुलने से उसकी निजता का उल्लंघन होता है। कोर्ट ने शाह के घर की खिड़कियां खोलने पर रोक लगा दी थी। शाह ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
नोटिस के बावजूद पड़ोसी हाईकोर्ट में पेश नहीं हुआ
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता गुलाम नबी शाह ने कई सबूत पेश किए कि सभी चीजें नियमानुसार हैं। नोटिस के बावजूद पड़ोसी हाईकोर्ट में पेश नहीं हुआ। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सुनने के बाद फैसला सुनाया।
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