रहिये अपडेट, रीवा। इस मार्च माह में होली का त्योहार आने वाला है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरु होता है। होलाष्टक से होलिका दहन की तैयारियां शुरु हो जाती हैं। होलिका दहन के अगले दिन सुबह से रंगों वाली होली मनाते हैं। होली से पूर्व 8 दिन में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है क्योंकि यह होलाष्टक के दिन होते हैं। जो मांगलिक या शुभ कार्यों के लिए अशुभ माने जाते हैं।
इस समय में कोई शुभ कार्य का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा
ज्योतिर्विद के अनुसार होलाष्टक यानी होली से पूर्व 8 दिनों में सभी ग्रहों विशेषतयाशनि व राहु का स्वभाव उग्र रहता है जो शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इस समय में कोई शुभ कार्य करने से उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा। ग्रहों की उग्रता से उसके दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यही कारण है कि इस अवधि मे शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। इस वर्ष होलाष्टक 17 मार्च से लग रहा है। क्योंकि इस दिन ही फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि रात्रि 9.52 बजे लग रही है। फाल्गुन पूर्णिमा इस साल 24 मार्च को है। ऐसे में होलाष्टक का अंत 24 मार्च को होलिका दहन के साथ हो जाएगा।
होलाष्टक में क्यों नहीं होते शुभ कार्य
पौराणिक कथा के अनुसारए फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से ही हिरण्यकश्यप ने बेटे प्रह्लाद को यातनाएं देनी शुरु कर दी थी। होलिक दहन तक भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कई षडयंत्र रचे गए। अष्टमी से पूर्णिमा तक भक्त प्रह्लाद पर कई तरह के अत्याचार हुए थे, इस वजह से इन 8 दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
होलाष्टक में यह कार्य वर्जित रहेंगे
- -वैवाहिक कार्य।
- -धन संपत्ति में निवेश।
- -नए व्यवसाय की शुरुआत।
- -गृह प्रवेश, निर्माण या मरम्मत संबंधी कार्य।
- -मुंडन संस्कार।
- -नए वाहन की खरीदी।
- -किसी भी प्रकार के संस्कार
- -सगाई या रोका
- -उपनयन
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