रहिये अपडेट, रीवा. भारत सरकार के केन्द्रीय बजट में विन्ध्य की लाइफलाइन कही जाने वाली परियोजना ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना के किसानों के बहुप्रतीक्षित मांग जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में कोई निर्णय लिया है। जिसको लेकर वर्षों से किसान, नौजवान अपने अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहे हैं। सरकार इस मुद्दे को गम्भीरता से न लेकर कई बार किसानों को दमन पूर्वक झूठे मुकदमे में जेल मे डाल चुकी है और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर मौन साधे हुये हैं। जिससे अब ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन किसान संघर्ष समिति ने सड़क से लेकर संसद तक लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है।
समिति के अध्यक्ष महेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि ललितपुर-सिंगरौली के मध्य पांच संसदीय क्षेत्र आते हैं और वहां की जनता द्वारा सांसदों को जिता कर संसद में पहुचाया है, इसके बावजूद भी उक्त सांसदों द्वारा किसानों व बेरोजगार नौजवानों के मुद्दे को आज तक सदन में नहीं उठाया गया और न ही इस विषय मे बोलना उचित ही समझा। जिससे ललितपुर-सिंगरौली के मध्य आन्दोलित किसान एवं नौजवान निरास हैं और न्याय पाने के लिये दर-दर की ठोकर खाने के लिये मजबूर हैं। किसान नेता पाण्डेय ने बताया कि ललितपुर-सिंगरौली के मध्य आने वाले किसानों व नौजवानों के द्वारा अगली रणनीति के लिये तैयार हैं। आने वाले समय में आन्दोलन को सड़क से लेकर संसद तक पुरजोर तरीके से अंतिम निर्णय होने तक हमारी लड़ाइ लड़ने का निर्णय लिया है।
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