Rewa News: जिले से चलाते हैं हल्का, मुख्यालय में नहीं रहते पटवारी, पैसे लेकर भी किसानों से लगवाते हैं चक्कर

Wednesday, 18 September 2024

/ by BM Dwivedi


रहिये अपडेट, रीवा.
पटरियों की मनमानी से किसान, मजदूर सभी परेशान हैं, क्योंकि रीवा शहर में सभी पटवारी अपना मुख्यालय बना रखे हैं। जिले के अधिकांश पटवारी मुख्यालय में नहीं रहते और जिले से ही हल्का चलाते हैं। जिसके चलते किसानों को अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए जिले की दौड़ लगानी पड़ती है। एक तो बिना पैसे लिये पटवारी कोई काम नहीं करते है, और किसानों के लिए इससे भी ज्यादा पीड़ादायक यह हो जाता है कि पैसे लेने के बाद भी ये पटवारी काम नहीं करते हैं, जिससे किसान इनके चक्कर लगाने को मजबूर रहते हैं। जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर रायपुर कर्चुलियान तहसील हैं। जहां आफिस समय शुरू होने के साथ ही किसानों का जमावड़ा लग जाता है, जो शाम तक डटे रहते हैं, कभी पटवारी के इंतजार में तो कभी पटवारी के आने पर काम कराने के लिये। शहर से लगी तहसील का ये हाल है तो दूरस्त तहसीलों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

खर्च करने पड़ते हैं हजारों रुपये
यदि किसी भी किसान, मजदूर को कोई प्रतिवेदन, सीमांकन, सर्वे कराना है तो हजारों रुपए खर्च करना पड़ता है। क्योंकि पटवारी हल्का छोड़ कलेक्टर, कमिश्नर की तरह जिले में रहना पसंद करते हैं और तहसीलदार तथा अनुविभागीय अधिकारी इनके कार्यों की तरफ कोई ध्यान नहीं देते हैं। किसान मजदूर यूनियन विधि प्रकोष्ठ के संभाग प्रभारी कमलेश्वर द्विवेदी ने बताया कि पटवारी हल्का दुवहाई से सर्वे कराने के लिए उन्होंने सम्पर्क करना चाहा तो पटवारी नहीं मिल रहे हैं। बताया कि तीन माह बाद भी पटवारी नहीं मिले, बताया गया कि हल्के में कभी कभार ही आते हैं। जिसकी शिकायत सीएम ऑनलाइन में करने के बाद भी सर्वे करने पटवारी नहीं आए। उनका मोबाइल अक्सर बंद बताता है। उन्होंने कलेक्टर से मांग किया है कि पटवारियों की मनमानी पर रोक लगाई जाए। 

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