Leptospirosis disease and prevention: हाल ही में अचानक तबियत बिगड़ने के कारण पंजाब सीएम भगवंत मान को मोहाली के एक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जहाँ जांच के दौरान चिकित्सकों ने बताया कि भगवंत मान लेप्टोस्पायरोसिस नामक एक संक्रमण से ग्रस्त हैं। हालाँकि, अब मुख्यमंत्री की तबियत में सुधार बताया जा रहा है पर विशेषज्ञों की माने तो अगर सही समय पर इस इन्फेक्शन का इलाज ना हो तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। अगर लेप्टोस्पायरोसिस की बात करे तो ये एक मिक्रोबियल इन्फेक्शन है, जो लेप्टोस्पायरा नामक बक्टेरिया से फैलता है। जब हमें पंजाब सीएम भगवंत मान की तबियत से जुड़ी ये खबर मिली तो हमने इस इन्फेक्शन के बारे में जानने का प्रयास किया। रिसर्च के दौरान हम जितनी भी जानकारी इस इन्फेक्शन के बारे में जुटा पाए हैं, इस रिपोर्ट के माध्यम से वो सब आपके साथ सिलसिलेवार ढंग से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं।
सूअरों और कैटल्स की किडनी में पाया जाता है ये बक्टेरिया
सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर ये लेप्टोस्पायरोसिस होता क्या है और इसका संक्रमण फैलता कैसे है? तो जैसा कि हमने पहले ही आपसे बताया कि ये एक मिक्रोबियल इन्फेक्शन है जो लेप्टोस्पायरा नाम के एक बक्टेरिया से जनित होता है। जो ख़ास तौर से जानवरों के शरीर में पाया जाता है। अगर जानवरों की बात करें तो तो लेप्टोस्पायरा नाम का ये बक्टेरिया सूअरों और कैटल्स की किडनी में पाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये बक्टेरिया चूहों में भी पाया जाता है। जिसके कारण इनका संक्रमण तेजी से फैलता है। अब ये वायरस किस जानवर में पाया जाता है और ये होता क्या है, जानने के बाद हमने जानने का प्रयास किया कि आखिर इसका संक्रमण कैसे फैलता है?
ऐसे फैलता है संक्रमण
एक चिकित्सक की रिपोर्ट के माध्यम से हमें पता चला कि ये वायरस बताये गए जानवरों कि मल-मूत्र से दूषित पानी में तैरने या खेलने से, दूषित जानवरों के मलमूत्र से, दूषित मिट्टी में काम करने से तथा इस बक्टेरिया से संक्रमित जानवरों को संभालने से इस इन्फेक्शन का संक्रम फैलता है। डॉक्टर की इस रिपोर्ट को पढ़ने के दौरान हमारे मन में बार बार ये ख्याल आ रहा था कि वर्तमान समय में लगभग सभी लोग कभी न कभी किसी न किसी जानवर के संपर्क में तो आ ही जाते हैं, ऐसे में ये कैसे जाने कि आखिर वो इस संक्रमण से ग्रस्त हैं या नहीं। इसके लिए हमने बी. फार्मासिस्ट पुष्पराज मिश्रा से बात की। इन्होने हमें इस इन्फेक्शन के लक्षण के बारे में बताया। पुष्पराज के अनुसार- इस इन्फेक्शन से संक्रमित लोगों में बुखार, सर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी और मितली का आना, दस्त, पीलिया, खांसी या ब्लीडिंग जैसे कॉम्प्लीकेशन्स शामिल हैं। पुष्पराज ने हमें इस इन्फेक्शन से होने वाले खतरों के बारे में भी बताया।
इन्फेक्शन से होने वाले खतरे
पुष्पराज की माने तो - अगर इस इन्फेक्शन का इलाज सही समय पर नहीं काराया गया तो संक्रमित व्यक्ति को किडनी फेलियर, लीवर फेलियर, मेनिन्जाइटिस यानि की जिनके दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्ली का सूजन होती है, सेप्सिस, वेल्स के खतरे के साथ संक्रमित व्यक्ति के मौत का भी भय बना रहता है।
संक्रम से कैसे बचें
अब आइये जानते हैं कि, इन्फेक्शन के संक्रम से कैसे बचा जाए? जितना हो सके संक्रमित जानवरों के संपर्क से बचें, दूषित पानी में तैरने से बचें, संक्रमित क्षेत्रों में काम करते समय सुरक्षा के कड़े इंतेजामात का ध्यान रखें, यानी दस्ताने और सुरक्षात्मक कपड़े पहनें और संक्रमित क्षेत्रों में काम करने के बाद साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोएं, जिससे कि संक्रमण आप तक न पंहुच सके। आपको बता दें कि चिकित्सा के माध्यम से इस इन्फेक्शन का इलाज कुछ एंटीबायोटिक दवाइयों से किया जाता है। समय से इस इन्फेक्शन का उपचार करा लेने से इसके जानलेवा कॉम्प्लीकेशन्स से भी बचा जा सकता है।
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