Rewa News: हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी बड़ी बाधा

Thursday, 19 September 2024

/ by BM Dwivedi

रीवा. हिंदी पखवाड़े के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं बघेली सेवा मंच के तत्वधान में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय स्टेडियम के सभाकक्ष में हिंदी भाषा के विविध पक्षों पर संगोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया।  मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. एनपी पाठक एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाकौशल प्रांत के महामंत्री चंद्रकांत तिवारी ने की। इस अवसर पर अखिल भारतीयी साहित्य परिषद द्वारा दो कवयित्रियों सीमारानी झा एवं डॉ. अरुणा पाठक को डॉ रंजना मिश्रा द्वारा शाल श्रीफल से सम्मानित किया। इस दौरान मुख्य वक्ता डॉ. चंद्र ने हिन्दी भाषा के उद्भव एवं विकास की यात्रा की चर्चा करते हुए हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिये का पक्ष रखा। उन्होने कहा कि हिन्दी भाषा अपनी बोलियों के सामर्थ्य से समृद्ध है एवं हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में राजनीतिक दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी मुख्य बाधा है। वहीं मुख्य अतिथि डॉ. पाठक ने कहा कि आज के बाजारवाद के युग में हिन्दी वैश्विक स्तर पर काफी तेजी से अपना स्थान बना रही है। कोई भी वैश्विक कंपनी या संस्था बिना हिन्दी के अपने को बाजार में सुरक्षित नहीं रख पाएगी। अध्यक्षता कर रहे हैं तिवारी ने अखिल भारतीय साहित्य परिषद के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि साहित्य वह है जिससे समाज का हित हो, समाज को बांटने वाला लेखन साहित्य नहीं कहा जा सकता है। उन्होने बताया कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद इस वर्ष स्थानीय बोलियों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के अभियान के साथ सतत् रूप से कार्य कर रहा है। संचालन शिवानंद तिवारी ने किया। 

समुदाय की पुष्टि का आइकॉन

कवियों ने प्रस्तुत की श्रेष्ठ रचनाएं

इस दौरान आयोजित काव्य संध्या का श्रीगणेश डॉ. राजकुमार शर्मा की मां शारदे वंदना से हुआ। इसके बाद कवयित्री सीमारानी झा ने अपनी कविता पढ़ी-सब कुछ अच्छा तो नहीं मगर, पहले से पर कुछ अच्छा है। वहीं डॉ. अरूणा ने रचना प्रस्तुत की-मैं पुण्य सलिल नर्मदा तनुजा, रहने को विंध्य प्रदेश मिला। वहीं अनुसुइया प्रसाद मिश्र, सुखनंदन प्रजापति, गीतकार डॉ. राम सरोज द्विवेदी शांतिदूत ने अपनी रचाना में कहा-जिसका सूरज कभी न डूबे हिंदी ऐसी ऊषा है। बघेली सेवा मंच के अध्यक्ष भृगुनाथ पाण्डेय भ्रमर ने अपनी कविता के माध्यम से वर्तमान पारिवारिक विसंगतियों को उजागर किया। इस अवसर पर व्यंगकार रामनरेश तिवारी निष्ठुर, शायर हशमत रीवानी, गीतकार शिवानंद तिवारी, डॉ विनय दुबे आदि ने अपनी रचानाएं प्रस्तुत की। कायक्रम का संयोजन डॉ. रंजना मिश्रा ने किया एवं संचालन विमलेश द्विवेदी ने किया। इस दौरान साहित्यकार एवं भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।  

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