JOB Crisis: ग्रेजुएट्स को पहली नौकरी में बड़ी चुनौतियों का करना पड़ता है सामना, सर्वे में चौंकाने वाली वजह आई सामने

Sunday, 27 October 2024

/ by BM Dwivedi

एक हालिया सर्वे के अनुसार कॉलेज ग्रेजुएट्स अपनी पहली नौकरी में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। अगस्त 2024 में करियर और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी 'इंटेलीजेंट' द्वारा कराए गए इस सर्वे में 966 बिजनस लीडरों से बात की गई। ये लीडर बड़े पदों पर हैं और भर्तियों से जुड़े फैसले लेते हैं। सर्वे में पता चला कि युवा पीढ़ी के काम और रवैये को देखकर कई कंपनियों में असंतोष बढ़ रहा है। इनमें सबसे बड़ी शिकायतें उनकी कार्यक्षमता, पेशेवर रवैये और टीम के साथ तालमेल बिठाने की कमी को लेकर हैं। सर्वे में पाया गया कि 75 फीसदी कंपनियों ने उनके काम से असंतोष जताया। इस असंतोष के पीछे की मुख्य वजह काम में पहल की कमी, खराब कम्युनिकेशन स्किल और प्रोफेशनल व्यवहार की कमी शामिल है। सर्वे में शामिल मैनेजरों ने बताया कि कई ग्रैजुएट काम की मूलभूत अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहे। इसमें समस्या सुलझाने की क्षमता और फीडबैक को ठीक से न ले पाने जैसी कमजोरियां भी शामिल हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि छह में से एक कंपनी ने इस साल किसी-न-किसी नए ग्रैजुएट को काम से निकाला। लगभग 79 फीसदी कंपनियों को कमजोर प्रदर्शन करने वाले इन कर्मचारियों के लिए सुधार योजना बनानी पड़ी और 60 फीसदी को आखिरकार उन्हें निकालना पड़ा। वास्तव में यह एक बड़ा और डरावना आकड़ा है, जो युवा पीढ़ी को यह सोचने के लिए मजबूर करता है कि वास्तव में उनके लिए कितने बड़े सुधार की जरूरत है।

इंटेलिजेंट के चीफ एजुकेशन एंड करियर डेवलपमेंट एडवाइजर गुयेन का मानना है कि यह समस्या युवाओं के पास व्यावहारिक अनुभव की कमी और कॉलेज के माहौल से अलग नौकरी पेशा माहौल में दाखिल होने के कारण होती है। कई नए कॉलेज ग्रैजुएट पहली बार नौकरी में आने पर संघर्ष कर सकते हैं क्योंकि यह उनके पढ़ाई के अनुभव से बिल्कुल अलग होता है। वे अक्सर वास्तविक दुनिया के अनुभव और सॉफ्ट स्किल्स में कमी महसूस करते हैं, जो काम में सफल होने के लिए जरूरी होते हैं। " उन्होंने कंपनियों को सलाह दी कि वे युवाओं के लिए प्रभावी ट्रेनिंग और मेंटोरशिप प्रोग्राम शुरू करें।

बता दे कि सर्वे ने दिखाया कि युवाओं को लेकर कई कंपनियों के मन में यह धारणा है कि वे अपेक्षा से ज्यादा जताते हैं और आलोचना से जल्दी आहत हो जाते हैं. लगभग 65 फीसदी हायरिंग मैनेजरों का मानना था कि युवा बहुत ज्यादा अधिकार जताते हैं और 63 फीसदी को लगता था कि वे आसानी से नाराज हो जाते हैं। 55 फीसदी मैनेजरों ने कहा कि वे काम के प्रति गंभीर नहीं हैं. जैसे, जर्मनी में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लोग काम को लेकर सुस्त हो गए है। इसी मुद्दे के दूसरे पहलू, यानी नई पीढ़ी की सोच को लेकर ऐसा ही एक सर्वे कुछ समय पहले अमेरिकी कंपनी डेलॉइट ने भी किया था। इसमें 44 देशों के लगभग 23,000 युवाओं से बातचीत की गई। सर्वे में युवाओं के कामकाज और जीवन से जुड़ी उम्मीदों और अनुभवों को समझा गया।

रिपोर्ट बताती है कि लगभग आधे युवाओं को लगता है कि अगले साल उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकती है. रिपोर्ट कहती है कि इन युवाओं के लिए काम और जीवन के बीच संतुलन बहुत जरूरी है। सर्वे से पता चलता है कि युवा ऐसी कंपनियों को पसंद करते हैं, जिनकी सोच और मूल्यों से उनकी व्यक्तिगत मान्यताएं मेल खाती हों, वे ऐसे काम से इनकार कर देते हैं, जो उनकी सोच से नहीं जुड़ता।

बहरहाल इस सर्वे पर आपकी क्या राय है, आप हमें कमेंट बॉक्स पर जरूर बतायें 

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