रीवा. मैं सिन्धी हूं और बचपन से देखता सुनता आ रहा हूं कि लोग हमें पाकिस्तानी समझते है, जबकि हम भारतीय ही है क्योंकि सिन्ध प्राप्त भारत में था और विभाजन के कारण पाकिस्तान का हिस्सा बना। हम व्यवसायी बने जबकि हम वॉरियर थें। राजा दाहिर सिन्धी थें, जिन्होंने चौदह बार अरबों को भारत में प्रवेश करने से रोका। हम सनातनी है। उक्त आशय के विचार प्रमुख कहानीकार एवं लेखक मोहित शेवाणी ने सिन्धु यूथ विंग रीवा द्वारा स्थानीय कृष्णा राजकपूर आडोटोरियम में आयोजित जर्नी ऑफ सिन्धीज कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम में उनके साथ 20 सदस्यीय म्यूजिक टीम भी उपस्थित रही।
इस मौके पर बताया कि सिन्धियों को अपनी जन्मस्थली छोड़े हुए 77 साल हो गये और अब तो युवा पीढ़ी विभाजन की पीड़ा भी इसलिए नहीं सुन पाती क्योंकि 85 पार लोग भी गिने चुने ही बचे हैं। ऐसे में अगर नाटकों के माध्यम से हम उन्हें विभाजन में कितनी मुसीबतें झेली तथा आजादी के पहले सिन्धी क्या था और आज क्या है यह बता सके तो यह एक अच्छी पहल है। इससे जहां एक ओर अपने पूर्वजों के प्रति युवा पीढ़ी में आदर और सम्मान का भाव जाग्रत होगा वहीं दूसरी ओर पारिवारिक और सामाजिक जीवन में आने वाली कठिनाईयों से लड़ने के लिए एक नई ऊर्जा प्रदान होगी। इस दौरान सिन्धी समुदाय की समृद्ध संस्कृति, उनके संघर्षो और ऐतिहासिक धरोहरों की प्रेरणादाय कहानियां एवं शानदार नमूने प्रस्तुत किये। जिसकी उपस्थित श्रोताओं ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर रीवा, सीधी एवं सतना के सिन्धी समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन व आभार सचिन डूडानी ने व्यक्त किया।
No comments
Post a Comment