रीवा। सोलर एनर्जी के क्षेत्र में रीवा को माडल के रूप में देखा जाता है। रीवा के बदवार पहाड़ में जब 750 मेगावॉट क्षमता का सोलर पॉवर प्लांट लगाने की शुरुआत हुई तो उस समय दुनिया में इतना बड़ा कोई दूसरा प्लांट नहीं था। हालांकि इनके निर्माण पूरा होने से पहले चीन और अन्य देशों में बड़ी क्षमता के प्लांट प्रांरभ हो चुके थे। मध्यप्रदेश सरकार ने रीवा में पहली बार बड़ा प्रोजेक्ट लगाने में सफलता हासिल की। 1500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थापित इस प्लांट में करीब 4500 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। इसे तीन इकाइयों में बांटा गया है। इस प्लांट का प्रजेंटेशन भारत सरकार ने इंटरनेशनल सोलर समिट में भी किया था। मध्यप्रदेश सरकार ने रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर(रम्स) लिमिटेड का गठन किया गया है। यह एक संयुक्त वेंचर है, प्रदेश में जहां पर भी सोलर प्लांट लगेंगे वह सब रम्स की निगरानी में ही स्थापित किए जाएंगे।
रीवा में स्थापित 750 मेगावॉट का सोलर प्रोजेक्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह ऐसे स्थान पर लगाया गया है, जिस स्थान का कोई दूसरा उपयोग नहीं था। यह भूमि पथरीली है। यहां पर न तो खेती की जा सकती है और न ही पेड़-पौधे लगाए जा सकते हैं। बंजर पड़ी भूमि का उपयोग कर एक ही परिसर में बड़ी इकाई स्थापित की गई। इसके साथ ही एक नई शुरुआत हुई कि अब बंजर भूमि का सोलर एनर्जी के लिए प्रयोग किया जा सकेगा। इस प्लांट के बारे में अब हार्वर्ड युनिवर्सिटी के छात्र पढ़ाई करेंगे। वह जानेंगे कि किस तरह से रीवा में सोलर एनर्जी का उत्पादन कर दिल्ली के मेट्रो को दिया जाता है। यहां पर सबसे सस्ती बिजली का उत्पादन भी होता है, 3.30 रुपए प्रति यूनिट की दर से 25 वर्षों तक बिजली का उत्पादन कंपनियां करेंगी।
सुपारी के खिलौने बढ़ाते हैं हमारी शान
रीवा में बनाए जाने वाले सुपारी के खिलौने अपने आप में अलग पहचान रखते हैं। इन खिलौनों को देश-दुनिया के प्रमुख हिस्सों के लोगों को गिफ्ट के तौर पर दिया जाता रहा है। सुपारी की मूर्तियां काफी लोकप्रिय हैं। इसे अभी रीवा शहर के कुछ कुंदेर परिवार के लोग ही बनाते हैं लेकिन रीजनल कांक्लेव में इसकी चर्चा नई दिशा दे सकती है। बड़े स्तर पर सुपारी की कलाकृतियों का निर्माण होने से अन्य लोगों को भी रोजगार मिलेगा और क्षेत्र की पहचान भी स्थापित होगी।
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